बांग्लादेश सरकार ‘अदानी पॉवर’ सहित अनेक बिजली उत्पादन समझौतों की जांच करेगी !

ढाका (बांग्लादेश) – अमेरिका के सरकारी अधिवक्ताओं ने भारतीय उद्योगपति गौतम अदानीसहित ७ लोगों पर अमेरिकी निवेशकों के २ सहस्र करोड रुपए भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत के रूप में दिए जाने का आरोप लगाकर अपराध पंजीकृत करने के उपरांत अब बांग्लादेश भी अदानी के विरुद्ध खडा हुआ है । बांग्लादेश की सरकार ने ‘अदानी पॉवर’सहित अन्य बडे बिजली उत्पादन समझौतों की जांच के लिए प्रतिष्ठित कानूनी तथा जांच संगठन की नियुक्ति करने का निर्णय लिया है । इसके कारण बिजली उत्पादन समझौतों में बदलाव होने की अथवा ये समझौते रद्द होने की संभावना है ।

१. बांग्लादेश सरकार ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि ऊर्जा एवं खनन संसाधन मंत्रालय की राष्ट्रीय पुनरावलोकन समिति ने वर्ष २००९ से २०२४ तक की अवधि में शेख हसीना के कार्यकाल में हस्ताक्षर किए गए बडे बिजली उत्पादन समझौतों के पुनरावलोकन हेतु बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को प्रतिष्ठित जांच विभाग की नियुक्ति की अनुशंसा की है । हम अनेक बिजली उत्पादन समझौतों की जांच कर रहे हैं ।

२. न्यायाधीश मोईनुल इस्लाम चौधरी की नेतृत्ववाली समिति ने बताया कि अन्य समझौतों का आगे का विश्लेषण करने हेतु और समय लगनेवाला है । समिति प्रमाण इकट्ठा कर रही है, जिसके कारण इन समझौतों में कुछ परिवर्तन अथवा अंतरराष्ट्रीय आयोग कानूनों तथा उनके कार्यान्वयन की दृष्टि से ये समझौते रद्द हो सकते हैं ।

३. ‘अदानी पॉवर’के प्रवक्ता ने इस विषय में बताया कि हम बांग्लादेश के आंतरिक मामलों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे । हमारी बिजली खरीद परियोजनाएं पिछले ७ वर्षाें से चल रही हैं तथा वे पूरी तरह से कानूनन वैध हैं ।

श्रीलंका में जांच की संभावना

श्रीलंका में अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्ववाली नई सरकार ने अब तक ‘अदानी ग्रीन’समूह के अन्य परियोजनाओं के संदर्भ में अंतिम निर्णय नहीं लिया है । सिलोन इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड के प्रवक्ता धनुष्का पराक्रमसिंघे ने कहा है कि इस प्रकरण की समीक्षा की जा रही है; परंतु अब तक कोई भी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है । आनेवाले सप्ताह में मंत्रिमंडल को पवन ऊर्जा परियोजना से संबंधित प्रस्ताव प्रस्तुत किया जानेवाला है । अंतिम निर्णय लेने से पूर्व; मंत्रीमंडल अदानी पवन ऊर्जा परियोजना से संबंधित सभी विवरणों की समीक्षा करेगा ।

संपादकीय भूमिका 

अमेरिका में जब तक डॉनल्ड ट्रम्प के हाथ में सत्ता नहीं आती, तब तक अमेरिका का भारतद्वेषी बाइडन सरकार ट्रम्प का समर्थक माना जानेवाले भारत तथा भारतीय लोगों को कष्ट देता रहेगा, यही इस घटना से ध्यान में आता है !