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नई दिल्ली – राजधानी के रोहिणी में ‘सी.आर.पी.एफ.’ विद्यालय के पास २० अक्टूबर को हुए बम विस्फोट से बहुत सनसनी फैल गयी थी । इसमें कोई जीवितहानी नहीं हुई थी, लेकिन यह आक्रमण एक हानिकारक योजना की ओर संकेत करता है । १९ अक्टूबर को विभिन्न विमानसेवाओं की उड़ानों को बम से उडाने की ३० से अधिक धमकियाँ दी गईं, जिससे काल्पनिक धमकियों और दूरभाष (फोन कॉल ) की एक नई लहर शुरू हो गई। इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय योजना होने का दावा मणिपूर अनुसंधान समूह के उपाध्यक्ष प्रो. माधव दास नलपत इन्होंने किया है ।
मूलभूत सुविधाओं को निशाना बनाने वाली ऐसी घटनाएं इस समय अधिक बढ़ी हैं। यह देश में असुरक्षा का वातावरण पैदा करने का कुचक्र है। चीन का नाम लेते हुए प्रो. नलपत ने कहा कि ड्रैगन से लड़ने वाले प्रतिष्ठान भारत में निवेश करना चाहते हैं। लेकिन ऐसी घटनाएं विदेशी निवेशकों के मन में डर पैदा कर रही हैं ।
बम की धमकी से मूलभूत सुविधाओं पर आक्रमण का भय दिखाने के साथ ही, रेलमार्ग पर सिलेंडर रखने और रेल पर पत्थर फेंकने जैसी घटनाएं भी बढ़ गई हैं। इससे भू-राजनीति के प्रो. नलपत को लगता है कि ऐसी घटनाएं भारत के खिलाफ एक बड़ी योजना का हिस्सा है।
प्रो. नलपत ने एक वाहिनी से बात करते हुए कहा कि वास्तविकता तो यह है कि चीन से दूर होने वाले एवं भारत में बसने वाले प्रतिष्ठानों की संख्या बढ़ रही है । भारत के विरोधियों को यह बदलाव पसंद नहीं आ रहा है । इसीलिए वे देश की सुरक्षा को लेकर विदेशी निवेशकों में भय पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं । वे असुरक्षा का वातावरण बनाने के लिए विमानक्षेत्र, रेलमार्ग, विद्यालयों और अन्य जगहों को निशाना बना रहे हैं । यह निवेश स्थल के रूप में भारत के आकर्षण को कम करने का एक प्रयास है।
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