नई दिल्ली – हमने अदालत में न्यायदेवता की आंखों पर पट्टी बंधी देखी होगी ; लेकिन इस पट्टी को हटाया गया है। साथ ही उनके हाथ में तलवार की जगह संविधान दे दिया गया है। मुख्य न्यायाधीश का मानना है कि तलवार हिंसा का प्रतीक है। अदालतें हिंसा से नहीं , बल्कि संवैधानिक कानूनों के आधार पर न्याय करती हैं। दूसरे हाथ में तराजू सही है , जो सभी के लिए समान न्याय का प्रतीक है।
भारत में न्यायदेवता की मूर्ति कहाँ से आई ?
न्याय की देवी एक प्राचीन यूनानी देवी है जिसे न्याय का प्रतीक माना जाता है। उसका नाम जस्टिया है। उनके नाम से ही न्याय शब्द सिद्ध हो गया है। उनकी आंखों पर बंधी पट्टी का अर्थ यह भी है कि ‘न्याय के देवता हमेशा निष्पक्ष होकर न्याय करेंगे।’
ब्रिटिश अधिकारी ने इस मूर्ति को भारत लाया
यह प्रतिमा ग्रीस से ब्रिटेन पहुंची थी। इसे पहली बार १७ वीं शताब्दी में ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा भारत लाया गया था। यह ब्रिटिश अधिकारी न्यायालय में अधिकारी था। १८ वीं शताब्दी में , ब्रिटिश काल के दौरान , न्यायदेवी की मूर्ति को सार्वजनिक उपयोग में लाया गया। बाद में देश की आजादी के बाद न्याय के इस देवता को स्वीकार किया गया।