सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

अंग्रेजी में ‘धर्म’ शब्द का समानार्थी शब्द न होने के कारण अंग्रेज क्या कभी धर्माचरण कर पाएंगे ?

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘धर्म’ शब्द का अर्थ इस प्रकार है –

जगतः स्थितिकारणं प्राणिनां साक्षात्
अभ्युदयनिः श्रेयसहेतुर्यः स धर्मः ।

– आद्य शंकराचार्य (श्रीमद्भगवद्गीता भाष्य का उपोद्घात)

अर्थ : संपूर्ण विश्व की स्थिति एवं व्यवस्था उत्तम रहे, प्रत्येक प्राणि की ऐहिक उन्नति, अर्थात अभ्युदय एवं पारलौकिक उन्नति अर्थात मोक्षप्राप्ति, ये तीनों जिससे साध्य होता है उसे ‘धर्म’ कहते हैें ।’


आध्यात्मिक बल एवं हिन्दू राष्ट्र !

‘एक एटम बम में लाखों बंदूकों का सामर्थ्य होता है, उसी प्रकार आध्यात्मिक बल में भौतिक, शारीरिक एवं मानसिक बल से अनंत गुना अधिक सामर्थ्य होता हैे । इसी कारण धर्मप्रेमी ‘संख्याबल अल्प होने पर भी हिन्दू राष्ट्र कैसे साकार होगा ?’, इसकी चिंता न करें ।’


टाई पहननेवाले वैद्य !

‘कुछ वैद्य अंग्रेजी भाषा में आयुर्वेद सिखाते हैं और चिकित्सालय में सात्त्विक धोती इत्यादि के स्थान पर पैंट, शर्ट, टाई पहनते हैें । उनका अनुकरण कर भविष्य में यदि मंदिर के पुजारी भी पैंट पहनने लगें, तो आश्चर्य नहीं होगो । इसे टालने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही आवश्यक हैे ।’

– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले