कावड यात्रा के समय हिन्दुओं को मनाई करने से अब बरेली (उत्तर प्रदेश) के हिन्दुओं की ‘जैसे को तैसा’ भूमिका !
बरेली (उत्तर प्रदेश) – यहां १५ सितंबर को देर रात्रि में यहां के जोगी नवादा क्षेत्र में ‘जुलूस-ए-महंमदी’ नामक मुस्लिमों का जुलूस निकला था । ये जुलूस ४ अंजुमन (छोटे जुलूस) एकत्रित होकर बडा बन गया । इसमें कभी भी न लगाए जानेवाला ‘डीजे’ (बडा ध्वनिक्षेपक तंत्र) लगाया गया था । ५०० से अधिक मुस्लिमों का यह जुलूस मौर्या गली से जा रहा था, तभी हिन्दुओं ने उसका जोरदार विरोध किया । पुलिस ने जुलूस के डीजे निकाल दिए । तब भी हिन्दुओं ने इस जुलूस को ‘अपारंपरिक’ कहते हुए उसका विरोध किया । हिन्दुओं के कडे विरोध के सामने पुलिस झुक गई । जुलूस के मुस्लिमों की संख्या अल्प करने का आदेश दिया । तब मुस्लिमों ने क्रोध से पैर पटकना आरंभ किया । तदनंतर हिन्दुओं ने भवनों के छत से पुलिस पर पानी फेंका । इस समय दोनों दलों की ओर से धार्मिक नारेबाजी की जा रही थी । देर रात्रि २.१५ तक मुस्लिमों का जुलूस आगे नहीं खिसक सका ।
ईद के समय यह जुलूस प्रतिवर्ष निकलता है; परंतु इसमें उनकी संख्या सीमित होती है तथा यहां डीजे लगाने की परंपरा नहीं है । पिछले माह में सम्पन्न हुई कावड यात्रा के समय हिन्दुओं के डीजे लगानेपर मुस्लिमों ने उसे ‘अपारंपरिक’ प्रमाणित करते हुए तीव्र आपत्ति उठाई थी । कहा जाता है कि इसीलिए ही अब हिन्दुओं ने ‘जैसे को तैसा’ के रूप में यह विरोध किया है ।
संपादकीय भूमिकाहिन्दुओं को उनपर हो रहे अन्याय के विरुद्ध बोलना, अत्यंत आवश्यक है तथा भारतभर के हिन्दुओं को इस घटना से बोध लेना चाहिए । हिन्दुओं को ऐसी भूमिका लेने का समय क्यों आया ? निधर्मीवादियों को यह भला नहीं लगेगा । इसलिए यदि वे हिन्दुओं को तुच्छता से ‘असहिष्णु’ कहकर उपदेश की घुट्टी पिलादे तो आश्चर्य कैसा ? |