मुंबई – ‘सेंट्रल प्रोविजन रेल कंपनी’ नामक निजी ब्रिटेन की कंपनी ने महाराष्ट्र के अमरावती से मूर्तजापुर यह १९० कि.मी. रेल पटरियां वर्ष १९१६ में निर्माण की थी । अंग्रेज भारत से जाने के उपरांत, अर्थात भारत स्वतंत्र होने के उपरांत भी इस कंपनी को अनेक दशक १ करोड २० लाख रुपए भाडे के रूप में देने पड रहे थे । वर्ष १९५१ में भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण होने के उपरांत भारत द्वारा अनेक प्रयास करने पर भी ब्रिटन ने रेलगाडी की यह पटरियां भारत को नहीं दीं । अमरावती से कपास मुंबई लाने हेतु अंग्रेजों द्वारा इन पटरियों का निर्माण किया गया था।
इस मार्ग पर अचलपुर से यवतमाल शकुंतला एक्सप्रेस रेलगाडी चल रही थी । ७० वर्षों तक यह रेल भाप के इंजन पर चल रही थी । वर्ष १९९४ में उसमें डीजल का इंजन जोडा गया । वर्तमान में यह रेलगाडी बंद कर दी गई है । नागरिकों ने इसे पुनः आरंभ करने की मांग की है । ५ डिब्बों की इस रेलगाडी से प्रतिदिन १ सहस्र यात्री यात्रा करते थे । प्राप्त सूचना के अनुसार वर्तमान में वह भाडा नहीं देना पड रहा है।