Ram Gopal Yadav : इंस्टाग्राम पर वीडियो बनानेवाले जिस प्रकार के कपडे पहनते हैं, उसे देखकर लज्जा से गरदन नीचे झुक जाती है !

 समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने की सामाजिक माध्यमों की अश्लीलता की आलोचना  !

सांसद रामगोपाल यादव

 नई देहली – इंस्टाग्राम पर ‘रील’ (वीडियो) (Instagram Reels) बनानेवाले ऐसे कपडे पहनते हैं कि उसे देखकर गरदन लज्जा से नीचे झुक जाती है, ऐसा वक्तव्य  समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने राज्यसभा में दिया ।

सांसद यादव ने कहा,

१. हमारे समय में ऐसा सीखाया जाता था कि, ‘चरित्र अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । इसका पतन हो गया, तो समझ लो कि सबकुछ समाप्त हो गया ।’

२. आज सामाजिक माध्यमों में ऐसी स्थिती है कि वहां अश्लीलता, नग्नता को बढावा दिया जा रहा है । इंस्टाग्राम के ‘रील्स’ के बारे में मैं यही कहूंगा कि ऐसे ‘रील्स’ और उन्हें बनानेवाले समाज को बिगाड रहे हैं ।

३. जो विविध रिपोर्टस सामने आ रहे हैं, उससे स्पष्ट होता है कि देश के युवा प्रतिदिन ३ घंटे रील्स देखने में व्यय करते हैं । इसका अर्थ ऐसा ही है कि अश्लीलता, नग्नता फैलानेवाले रील्स भारत का युवा प्रतिदिन औसतन ३ घंटे देखता है ।

४. युवक अपने परिवार से संवाद करना भूलते जा रहे हैं । एकसाथ भोजन करना, बाते करना इत्यादि से प्रेम और आत्मीयता बढती है । आजकल लोग एकसाथ बैठते है; परंतु भ्रमणभाष लेकर । उनका एक-दूसरे की ओर ध्यान भी नहीं होता ।

५. आजकल समाचार भी सुनने को मिलते है कि, इंस्टाग्राम पर परिचय हुआ, मित्रता हुई और तदुपरांत विवाह हुआ । तत्पश्चात युवक ने युवति की हत्या की । इस प्रकार की घटनाएं रील्स के कारण हो रही हैं । समाज में मद्यपान करने की मात्रा भी इन रील्स के कारण बढ गई है ।

ऑनलाईन गेम्स के कारण बच्चों की मानसिकता पर गंभीर परिणाम होता है  ! – फौजिया खान

फौजिया खान

राष्ट्रवादी कांग्रेस की सांसद फौजिया खान ने भी इससे संबंधित चर्चा में बात करते समय बताया कि ऑनलाईन गेम्स के कारण बच्चों की मानसिकता पर गंभीर परिणाम हो रहा है । पुणे में एक लडके ने ऑनलाईन गेम्स के प्रभाव में आकर आत्महत्या की । इसलिए सरकार को ऑनलाईन गेम्स और सामाजिक माध्यमों के उपयोग के बारे में एक नियमावली घोषित करनी चाहिए ।

सामाजिक माध्यमों पर कहीं भी बंधन नहीं ! – सांसद विक्रमजीत सिंह  

आम आदमी पार्टी के सांसद विक्रमजीत सिंह ने कहा कि वर्तमान समय में सामाजिक माध्यमों पर कोई बंधन नहीं है । सामाजिक माध्यमों पर कुछ भी लिखो अथवा कहो, चल जाता है । प्रधानमंत्र मोदी हो, कांग्रेस के नेता हो अथवा अन्य कोई भी प्रतिष्ठित व्यक्ति हो, उस पर टिप्पणी की जाती है । इसके लिए अत्यंत अधम श्रेणी की भाषा का उपयोग किया जाता है । सामाजिक माध्यमों द्वारा द्वेष फैलाया जाता है ।

संपादकीय भूमिका 

समाज की नैतिकता हीन स्तर पर आने से ऐसा हो रहा है । आज तक के सर्वदलीय राज्यकर्ता ही इसके लिए उत्तरदायी हैं । जनता को साधना सिखाकर यदि वे उसे धर्माचरणी बनाते, तो आज ऐसी स्थिती नहीं होती !