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मुंबई – भारत की उदारवादी नीति का फायदा न उठाएं । पाकिस्तान अथवा खाडी देशों में जाइए । आप विश्व के १२९ राष्ट्रों में जा सकते हैं । आप ऑस्ट्रेलिया क्यों जाना चाहते हैं ?, मुंबई उच्च न्यायालय ने यमन के नागरिक और पुणे में अपने परिवार के साथ १० वर्ष से रह रहे शरणार्थी खालिद हुसैन से पूछा ।
पुणे पुलिस प्रशासन ने हुसैन को देश छोडने का नोटिस जारी किया क्योंकि उनका प्रवास समाप्त हो गया था; लेकिन हुसैन ने उसके विरुद्ध मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की । सुनवाई के समय न्यायालय ने उन्हें उपरोक्त शब्दों में फटकार लगाई ।
मैं शीघ्र ही ऑस्ट्रेलिया जाऊंगा । वहां के वीजा के लिए प्रक्रिया चल रही है । तब तक मुझे भारत में ही रहने दीजिए । विदेशी दम्पति के बच्चे को यहां जन्म लेने पर भारतीय नागरिकता मिल जाती है; लेकिन हमारे बच्चों को यहां की नागरिकता क्यों नहीं दी जाती ?” हुसैन ने तर्क दिया।
सरकारी वकील संदेश पाटिल ने इस याचिका का कड़ा विरोध किया और कहा, ”हुसैन कई वर्षों से भारत में रह रहे हैं; लेकिन नियमानुसार वह शरणार्थी के तौर पर भारत में नहीं रह सकता । उनका परिवार भी अवैध रूप से भारत में रह रहा है । इसलिए उनके बच्चों को यहां की नागरिकता नहीं दी जा सकती ।”
क्या है प्रकरण ?
२०१४-१५ में यमन में गृहयुद्ध आरंभ हुआ । उस समय बहुत से नागरिक देश छोड़कर दूसरे देशों में चले गये। वहीं, खालिद हुसैन की पत्नी अपनी बहन के कैंसर के उपचार के लिए भारत आई थीं । उन्हें ऐसा वीजा मिला था । हुसैन पढ़ाई के लिए भारत आये; उनके पास ऐसा वीजा था । युद्ध के कारण हुसैन का परिवार भारत में ही रहा । अंतःत उन्हें शरणार्थी प्रमाणपत्र मिल गया । उसके पश्चात उनका एक बेटा और एक बेटी हुई; लेकिन अब जब पुणे पुलिस ने उन्हें देश छोडने का नोटिस दिया है तो हुसैन न्यायालय चले गए ।