१. श्री. शंकर खराल, पोखरा, नेपाल
‘आश्रम अत्यंत सुंदर है । यहां ज्ञानवर्धक, शांति एवं सात्त्विकता का मार्ग दिखानेवाला तत्त्वज्ञान है !’
२. श्री. जगन्नाथ कोइराला (जिला अध्यक्ष, विश्व हिन्दू महासंघ, नेपाल), पोखरा-४, कास्की, जिला गंडकी प्रदेश, नेपाल
अ. ‘आश्रम बहुत ही मनमोहक लगा ।
आ. आप हिन्दू जनजागृति का यह जो कार्य कर रहे हैं, वह बहुत ही प्रशंसनीय है ।
इ. आश्रम में चल रहा हिन्दू जनजागरण का कार्य अनुकरणीय है ।
ई. अब यहां की भांति नेपाल में भी और बहुत कार्य करने की प्रेरणा मिली ।’
३. महामंडलेश्वर आचार्य नर्मदा शंकर पुरीजी महाराज, झोटवाडा, जिला जयपुर, राजस्थान.
अ. ‘आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत आश्रम की व्यवस्था देखकर मन अत्यंत प्रसन्न हुआ ।
आ. आश्रम के प्रत्येक क्रियाकलाप में सकारात्मक ऊर्जा प्रतीत हुई ।
इ. ‘हिन्दू राष्ट्र का सपना निश्चित ही साकार होगा’, इसमें कोई संदेह नहीं है । शुभकामनाएं !’
४. समता देवी, पाटलीपुत्र (पटना), बिहार.
अ. ‘आश्रम देखकर बहुत अच्छा लगा ।
आ. मन शांत हुआ ।
इ. इस जीवन का उद्देश्य समझ में आया ।’
५. श्री. प्रभाष रंजन ठाकुर, पाटलीपुत्र (पटना), बिहार.
अ. ‘आश्रम में मनुष्य-जीवन का वास्तविक अर्थ तथा मानवता के मूल्य देखने को मिले ।
आ. आश्रम आने पर बडे स्तर पर सकारात्मकता प्रतीत हुई ।
इ. आश्रम की संपूर्ण व्यवस्था सूक्ष्म स्तर पर की गई दिखाई दी, अर्थात यहां की प्रत्येक वस्तु का विनियोग ईश्वरीय कार्य हेतु किया जा रहा है ।’
६. श्री. आशुतोष चतुर्वेदी, कृष्ण सदन, नवादा, तालुका आरा, जिला भोजपुर, बिहार.
अ. ‘आश्रम में सुखद अनुभूति हुई ।
आ. आश्रम के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा प्रतीत होती है ।’
७. श्री. अनंत विजय, संपादक, दैनिक जागरण, गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश.
अ. ‘एक ऐसी अनुभूति हुई जिसका शब्दों में वर्णन करना कठिन है !
आ. यहां के आध्यात्मिक वातावरण में मन को शांति मिली ।’
८. डॉ. कर्मवीर सिंह गौर, सदस्य, हिन्द रक्षक, इंदौर, मध्य प्रदेश.
अपूर्व ! यहां का व्यवस्थापन, स्वच्छता, सेवाभाव तथा इतने साधक एकत्रित रहकर जो निरपेक्ष सेवा कर रहे हैं, वह अत्यंत स्फूर्तिदायक है ।
सूक्ष्म जगत से संबंधित प्रदर्शनी देखकर मान्यवरों के द्वारा व्यक्त अभिमत
श्री. आशुतोष चतुर्वेदी, नवादा, तहसील आरा, जिला भोजपुर, बिहार.
‘आध्यात्मिक शक्ति के साथ ईश्वर की अनुभूति तथा नामजप के लाभ समझ में आए ।’
(सभी सूत्रों की तिथि : २३.६.२०२४ – २४.६.२०२४)
महंत आचार्य पीठाधीश्वर डॉ. अनिकेत शास्त्री देशपांडे (अखिल भारतीय संत समिति, धर्मसमाज, महाराष्ट्र प्रदेश प्रमुख), महर्षि पंचायतन, सिद्धपीठम्, नाशिक अ. ‘यहां हम कलियुग में नहीं, अपितु ‘कला’युग में हैं, ऐसा मुझे लगा । आ. यहां आध्यात्मिक शक्ति के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण की उपासना भी है ।’ (२४.६.२०२४) |