हरियाणा – पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा है कि विवाहेतर साथी के साथ ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ में रहने वालों को सुरक्षा देना अयोग्य कृत्य को प्रोत्साहित करने के समान है । ४० वर्षीय महिला एवं ४४ वर्षीय पुरुष ने अपने परिवार से धमकी मिलने के बाद उच्च न्यायालय से सुरक्षा की मांग की थी ।इस पर न्यायालय ने यह टिप्पणी की है ।
१. ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ में पुरुष एवं महिला दोनों विवाहित हैं तथा दोनों के बच्चे भी हैं । इसमें स्त्री ने अपने पति से संबंध विच्छेद कर लिया है; किंतु पुरुष ने अपनी पत्नी से विवाह विच्छेद नहीं किया है ।
२. न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को इस बात की पूरी जानकारी थी कि वे विवाहित हैं और ‘लिव-इन रिलेशनशिप’ में नहीं रह सकते ।
३. न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने अपने घरों से भागकर न केवल अपने परिवार का अपयश किया, अपितु उनके सम्मानित जीवन के अधिकार का भी उल्लंघन किया है ।
४. विवाह एक पवित्र संबंध है। ऐसे विवाह को समाज में भी अहम स्थान दिया जाता है। हमारे देश में नैतिकता एवं संस्कृति का अत्यधिक महत्व है । आजकल हम पाश्चात्य संस्कृति को स्वीकार करने लगे हैं । न्यायालय ने यह भी कहा कि यह संस्कृति भारतीय संस्कृति से अति भिन्न है ।