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मुंबई, १० जुलाई (संवाददाता) – मराठा आरक्षण के संदर्भ में राज्य के सभी राजनीतिक दलों के प्रमुखों की बैठक ९ जुलाई को सह्याद्री अतिथिगृह पर आयोजित की गई थी; परंतु ‘आरक्षण के संदभ में कुछ लोगों के (विरोधियों के) मन में जो पुतनामौसी का प्रेम था, वह ९ जुलाई को दिखाई दिया है । वे इस बैठक में ही नहीं आए’, ऐसा वक्तव्य विधान परिषद के समूहनेता प्रवीण दरेकर के द्वारा किए जाते ही विरोधियों ने सदन में बडा हंगामा किया । मराठा आरक्षण की बैठक में विरोधी उपस्थित नहीं रहे, उसीकी प्रतिक्रिया १० जुलाई को सदन में दिखाई दी । सत्ताधारी तथा विरोधियों द्वारा बहुत हंगामा कर नारेबाजी किए जाने से विधानपरिषद की उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे ने विधानपरिषद का कामकाज दिनभर के लिए स्थगित किया ।
१. विधान परिषद में प्रश्नोत्तर का सत्र समाप्त होने के उपरांत विधान परिषद के समूहनेता प्रवीण दरेकर ने मराठा आरक्षण के संदर्भ में निवेदन करते हुए कहा कि मराठा आरक्षण के सूत्र ने तुल पकड ली है, उसके कारण महाराष्ट्र में जातिगत सौहार्द बिगडकर बडे स्तर पर जातिगत दुर्भावना उत्पन्न हुई है । ऐसी स्थिति में सभी राजनीतिक दलों के नेताओं ने ‘राज्य सरकार प्रधानता लेकर इससा समाधान ढूंढे’, यह भूमिका ली । राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सर्वदलीय नेताओं की इस भूमिका का स्वागत करते हुए सह्याद्री अतिथिगढह पर बैठक की है ।
२. उसके उपरांत दरेकर के द्वारा उक्त वक्तव्य दिए जाने के उपरांत सत्ताधारी तथा विरोधियों ने उपसभापति के सामने के खाली स्थान में आकर नारेबाजी करना आरंभ किया ।
३. डॉ. नीलम गोर्हे ने इस हंगामें में ही सभी विधेयक पारित किए, साथ ही पूरक मांगों का विषय भी लिया गया । इस समय सत्ताधारी सदस्य तथा विरोधी सदस्य हंगामा कर ही रहे थे । अंततः डॉ. गोर्हे ने सुरक्षाकर्मियों को बुलाने के लिए कहा । अंत में ‘प्रस्ताव तथा विधेयकों को लंबित रख दिनभर के लिए सदन का कामकाज स्थगित किया जा रहा है’, ऐसा बोलकर उन्हें दिनभर के लिए कामकाज स्थगित किया ।
विधान परिषद में सत्ताधारी तथा विरोधी जब हंगामा कर रहे थे, उस समय उपसभापति डॉ. नीलम गोर्हे ने दोनों पक्ष के सदस्यों को शांति से अपने स्थान पर बैठने के लिए तथा हंगामा न करने के लिए बार-बार कहा; परंतु कोई भी सदस्य सुनने की स्थिति में नहीं था । उसके कारण डॉ. गोर्हे ने दिनभर के लिए कामकाज स्थगित करने की घोषणा की । तब सभी सदस्यों ने इस पर अप्रसन्नता व्यक्त करते हुए विरोध किया । इस समय कांग्रेस के सदस्य सतेज पाटीलसहित कुछ सदस्यों ने कहा कि आपने दिनभर के लिए कैसे कामकाज स्थगित किया ? क्या आप इसी प्रकार कामकाज चलाएंगी ?; परंतु डॉ. गोर्हे उनकी अनदेखी कर वहां से चली गईं । |
संपादकीय भूमिकाजैसे विद्यालय में हंगामा करनेवाले बच्चों को दंडित किया जाता है, उस प्रकार विधानसभा में हंगामा कर समय व्यर्थ गंवानेवाले सदस्यों पर कार्यवाही होनी चाहिए, यही जनता की भावना है ! |