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लुधियाना (पंजाब) – ‘शिवसेना पंजाब’ के नेता संदीप थापर गोरा पर आक्रमण कर उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया गया। उनका चिकित्सालय में उपचार चल रहा है। निहंग सिख के भेष में आए 4 लोगों ने संदीप थापर पर तेजधार हथियारों से आक्रमण कर दिया। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। पुलिस आरोपियों की खोज कर रही है। संदीप थापर क्रांतिकारी सुखदेव के संबंधी है।
Life-threatening attack on 'Shivsena Punjab' leader Sandeep Thapar in Ludhiana : Condition critical
The escort Police officer stood by as a mute spectator
4 individuals dressed as Nihang Sikhs attacked Thapar with swords in broad daylight
Possibility of attack due to Thapar's… pic.twitter.com/0wblsbtRzV
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) July 5, 2024
अंगरक्षक पुलिस निष्क्रिय खडा था !
संदीप थापर गोरा अपने बंदूकधारी पुलिस अंगरक्षक के साथ एक बरसी समारोह के लिए सिविल चिकित्सालय आए थे। यहां से जब वह बाइक पर जा रहे थे तो उनके सामने 4 निहंग सिख आ गए। उन्हें देखकर संदीप थापर ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया; लेकिन इन सिक्खों ने उसके सिर पर तलवार से जोरदार वार किया। (अब ऐसे सिखों को नमन करना चाहिए या इनसे सतर्क रहना चाहिए?, इसका निर्णय तो नेताओं और जनता को करना चाहिए! – संपादक) संदीप थापर के गिरने के बाद भी आरोपी उन पर चाकू से वार करते रहे। इस बार उनके सशस्त्र अंगरक्षक को अन्य निहंगों ने घेर लिया। उस समय उन्होंने थापर को बचाने के लिए कुछ नहीं किया।
वह निष्क्रिय खड़ा रहा। (यदि ऐसा कोई आक्रमण हुआ तो सरकार और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को यह समझ में क्यों नहीं आया कि अकेले पुलिस कुछ नहीं कर पाएगी? क्या इस घटना के बाद अन्य नेताओं की सुरक्षा बढ़ाई जाएगी? – संपादक) आक्रमण के बाद, 2 आरोपी थापर की ही बाइक पर भाग गये। इस समय सड़क पर उपस्थित लोग भी यह घटना देख रहे थे। (ऐसी घटनाओं में भारतीय लोग सदेव ऐसा व्यवहार क्यों करते हैं?, सरकार इसका अध्ययन कब करेगी? और समाधान कब निकलेगी ? – संपादक) आक्रमण में घायल होने के बाद थापर को सिविल चिकित्सालय ले जाया गया; किंतु उनकी स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें वहां से एक बड़े चिकित्सालय ले जाया गया।
खालिस्तान विरोधी बयानों के चलते आक्रमण!
माना जा रहा है कि थापर पर आक्रमण उनके खालिस्तान विरोधी वक्तव्यों के कारण हुआ हैं। वे अधिकाश खालिस्तान के विरोध मे वक्तव्य देते रहते है। उन्होंने कुछ साल पहले हुए किसान आंदोलन के विरोध मे भी बयान दिया था। थापर को कई दिनों से धमकी दी जा रही थी। इसके बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा दी गयी।
संपादकीय भूमिका
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