मुंबई – चेंबूर के आचार्य महाविद्यालय में जीन्स एवं टी शर्ट पहनने पर प्रतिबंध लगाया गया है । उसके कारण महाविद्यालय में जीन्स एवं टी शर्ट पहनकर आनेवाले छात्रों को रोका गया । इससे पूर्व २६ जून को मुंबई उच्च न्यायालय ने ‘आचार्य महाविद्यालय द्वारा लगाई गई हिजाबबंदी उचित हैत’, ऐसा निर्णय दिया था ।
‘महाविद्यालय के ‘ड्रेसकोड’के अनुसार (वस्त्रसंहिता के अनुसार) फटी जीन्स , टी शर्ट, शरीरप्रदर्शन करनेवाले वस्त्रप्रावरण, जर्सी पर प्रतिबंध लगाया गया है । हाफ शर्ट, फुल शर्ट तथा पैंट पहनने पर प्रतिबंध नहीं है । छात्राएं कोई भी भारतीय वेशभूषा पहन सकती हैं । जिस वेशभूषा से धर्म दर्शाया जाता हो, ऐसी वेशभूषा कोई भी न करें । लडकियों ने यदि बुर्का, नकाब, टोपी, स्टोल जैसा कुछ भी पहना, तो उसे कॉमन रूम में जाकर हटा दिया जाएगा । महाविद्यालय ने इस विषय में नोटिस दिया है, जिस पर प्राचार्य के हस्ताक्षर भी है ।
‘गोवंडी सिटिजंस एसोसिएशन’के अतीक खान ने कहा, ‘‘कुछ विशिष्ट धर्म के लोग जीन्स-टी शर्ट नहीं पहनते । सभी धर्माें के लोग इस प्रकार की वेशभूषा करते हैं; इसलिए उस पर प्रतिबंध लगाना अव्यवहार्य है । ड्रेसकोड के नाम पर जीन्स -टी शर्ट पहनने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है ।’’
छात्र भद्रतापूर्ण दिखाई दें, इस प्रकार के कपडे पहनें ! – प्राचार्य डॉ. लेले, आचार्य महाविद्यालय
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. लेले ने कहा, ‘‘हम छात्रों को कॉर्पोरेट जगत हेतु तैयार कर रहे हैं । अतः वे भद्रतापूर्ण दिखाई दें, ऐसे कपडे पहनें; यह हमारी अपेक्षा है । हमने उन पर किसी प्रकार का गणवेश नहीं थोपा है । हमने तो केवल उन्हें ‘फॉर्मल्स’ (सुसंस्कृतता प्रदर्शित करनेवाली अनौपचारिक वेशभूषा) पहनने के लिए कहा गया है । महाविद्यालय जीवन के उपरांत जब वे नौकरी में जाएंगे, उस समय उन्हें इसी प्रकार के कपडे पहनने पडनेवाले हैं ।
प्रवेश के समय ही हमने छात्रों को ड्रेसकोड की जानकारी दी थी; परंतु अब वे इस विषय में प्रश्न उठा रहे हैं अथवा चिंता व्यक्त कर रहे हैं, ऐसा क्यों ? वर्ष के ३६५ दिन में से १२० से १३० दिन छात्र महाविद्यालय आते हैं, तो उन्हें इन दिनों में ड्रेसकोड का पालन करने में क्या समस्या है ?’’
संपादकीय भूमिका
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