राजनीतिक रणनीतीकार प्रशांत किशोर का दावा
पाटलीपुत्र (बिहार) – लोकसभा चुनाव में मतदानोत्तर परीक्षण में भाजपा प्रणित गठबंधन को ४०० से अधिक सीटें मिल सकती हैं, ऐसा अनुमान अधिकतर लोगों ने लगाया था; परंतु प्रत्यक्ष में इस गठबंधन को २९२ सीटें ही मिली हैं । अनुमान लगानेवालों में राजनीतिक रणनीतीकार प्रशांत किशोर भी सहभागी थे । अब उन्होंने गलत प्रमाणित हुए अनुमान को लेकर क्षमायाचना की है और चुनाव में प्राप्त परिणामों के संदर्भ में मत प्रस्तुत किया है । इसमें उन्होंने कहा है कि भाजपा की ‘४०० से अधिक सीटें मिलेगी’ (अब की बार ४०० पार) इस घोषणा ने उनका घात किया है ।
कार्यकर्ता और मतदाता दोनों थे नाराज !
‘इंडिया टुडे’ के साथ हुए साक्षात्कार में प्रशांत किशोर ने कहा कि भाजपा की सबसे बडी दुर्बलता यही है कि आवश्यकता से अधिक मात्रा में मोदी पर निर्भर रहना । कार्यकर्ता ४०० से अधिक सीटें मिलेंगी, इस घोषणा को लेकर बैठे थे । उन्हें लगा कि वास्तव में उतनी ही सीटें आएगी । ‘अब अपने सांसद को कुछ पाठ पढाना होगा’, ऐसा निश्चय मतदाताओं ने किया था । मैं मेरे मतदाता संघ की बात बताता हूं । बिहार के आरा के आर्.के. सिंह का उदाहरण लें । किसी से भी पूछो, वे बताएंगे, ‘सिंह ने अच्छा काम किया है, मंत्री के रूप में भी वे अच्छे थे’; परंतु कार्यकर्ता नाराज क्यों हैं ? तो वे कार्यकर्ताओं की पूछताछ भी नहीं करते थे । भाजपा का समर्थन करनेवालों को लगा था कि ४०० से अधिक सीटें आएगी, ऐसी घोषणा की है, तो भाजपा की ४०० पार सीटें आएगी । वाराणसी में मतगणना में मोदी आरंभ में पिछाडी पर थे । वर्ष २०१४ की तुलना में उनके मतों का प्रतिशत २ प्रतिशत से घटा है । पीछली बार मोदी के विरोधकों के मतों का प्रतिशत २०.९ था । इस समय वह ४१ प्रतिशत हुआ । वाराणसी में मतदाताओं को लग रहा था कि ‘मोदी को रोकना है ।’
(सौजन्य : India Today)
अनुमान गलत हो जाने से राजनीतिक समझदारी नष्ट नहीं होती !
प्रशांत किशोर ने अनुमान लगाया था कि वर्ष २०२४ में भाजपा को ३०३ अथवा उससे भी अधिक सीटें मिलेंगी और कांग्रेस को १०० से भी अल्प सीटें मिलेंगी । इस बारे में प्रशांत किशोर ने कहा कि मैं मानता हूं कि मेरा अनुमान गलत निकला; परंतु यह संभव है । अखिलेश यादव, अमित शहा ने भी विविध अनुमान लगाए थे । वे भी गलत प्रमाणित हुए । इसका अर्थ ऐसा नहीं कि अनुमान लगानेवाले की राजनीतिक समझ समाप्त हुई । राहुल गांधी ने भी कहा था कि, ‘मध्य प्रदेश में हमारी सरकार आएगी ।’ वहां भाजपा की सरकार आई । इसका अर्थ ऐसा नहीं कि उनकी राजनीतिक समझ नष्ट हुई । अनुमान लगाने में गलती हो सकती है ।
४०० पार की घोषणा लोगों को अहंकार का प्रतीक लगी !
प्रशांत किशोर ने कहा कि ४०० से अधिक सीटें मिलने की घोषणा देने से भाजपा की सर्वाधिक हानि हुई । ऐसी घोषणा लोगों को अहंकार का प्रतीक लगी । इसपर विपिक्षयों ने भी ऐसा प्रचार किया कि भाजपा को ४०० से सीटें मिलने पर वह देश के संविधान में परिवर्तन करेगी । ४०० से अधिक सीटें मिलेगी, यह घोषणा अच्छी है; परंतु अधूरी है । ४०० से अधिक सीटें मिलेगी, इतनी ही घोषणा देकर निश्चिंत हो गए । वर्ष २०१४ में भाजपा की घोषणा थी, ‘बहुत हो गयी महंगाई की मार, अब की बार मोदी सरकार !’ ४०० से अधिक सीटें मिलेगी, इस घोषणा के आगे-पीछे ऐसा कुछ नहीं था । मतदाता इस घोषणा से संतुष्ट नहीं थे ।