कोजागरी पूर्णिमा
कोजागरी पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी तथा इंद्र की पूजा की जाती है । कोजागरी पूर्णिमा की कथा इस प्रकार है कि बीच रात्रि में लक्ष्मी पृथ्वी पर आकर जो जागृत है, उसे धन, अनाज तथा समृद्धि प्रदान करती है ।
कोजागरी पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी तथा इंद्र की पूजा की जाती है । कोजागरी पूर्णिमा की कथा इस प्रकार है कि बीच रात्रि में लक्ष्मी पृथ्वी पर आकर जो जागृत है, उसे धन, अनाज तथा समृद्धि प्रदान करती है ।
कोजागरी पूर्णिमा की रात को लक्ष्मी तथा इंद्र की पूजा की जाती है । कोजागरी पूर्णिमा की कथा इस प्रकार है कि बीच रात्रि में लक्ष्मी पृथ्वी पर आकर जो जागृत है, उसे धन, अनाज तथा समृद्धि प्रदान करती है । श्रीमद्भागवत के कथनानुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रजमंडल में रासोत्सव मनाया था ।
कोजागरी पूर्णिमा का उत्सव आश्विन पूर्णिमा की तिथि को मनाया जाता है । श्रीमद्भागवत के कथनानुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने व्रजमंडल में रासोत्सव मनाया था ।
‘शुक्रवार, ३०.१०.२०२० को सायंकाल ५.४६ के पश्चात ‘शरद पूर्णिमा’ प्रारंभ हो रही है । इस वर्ष ‘अधिक अश्विन मास’ होने के कारण अश्विन पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा (कोजागरी पूर्णिमा)’ है ।