‘सनातन प्रभात’ के ‘ई-पेपर’ का ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास’ के कोषाध्यक्ष प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरि महाराजजी के करकमलों द्वारा विमोचन !

देश में हो रहे परिवर्तनों में ‘सनातन प्रभात’ का अत्यधिक योगदान है ! – प.पू. स्वामी गोविंददेव गिरि महाराजजी

‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक बहुत शीघ्र उपलब्ध होंगे ‘ई-पेपर’ के रूप में !

यह बताते हुए हमें बहुत प्रसन्नता हो रही है कि ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक के ऑनलाइन संस्करण बहुत शीघ्र डिजिटल न्यूजपेपर अर्थात् ‘ई-पेपर’के रूप में प्रकाशित होनेवाले हैं ।

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

बुद्धिप्रमाणवादियों को यह अहंकार होता है, ‘मानव ने विभिन्न यंत्रों का आविष्कार किया ।’ उन्हें यह ध्यान में नहीं आता कि ईश्वर ने जीवाणु, पशु, पक्षी ७० से ८० वर्ष चलनेवाला एक यंत्र अर्थात मानव शरीर जैसी अरबों वस्तुएं बनाई हैं । क्या उनमें से एक भी वैज्ञानिक बना पाए हैं ?

परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी के अव्यक्त संकल्प के कारण गत एक वर्ष में विविध भाषाओं में सनातन के ३० नए ग्रंथ-लघुग्रंथ प्रकाशित और ३५७ ग्रंथ-लघुग्रंथों का पुनर्मुद्रण !

‘हिन्दू राष्ट्र’ धर्म के आधार पर ही स्थापित होगा । धर्मप्रसार के कार्य में ज्ञानशक्ति, इच्छाशक्ति और क्रियाशक्ति में से ज्ञानशक्ति का योगदान सर्वाधिक है । ज्ञानशक्ति के माध्यम से कार्य होने का सर्वाधिक प्रभावी माध्यम हैं ‘ग्रंथ’ ।

काश्मिरी हिन्दुओं के नरसंहार की घोर यातना विश्‍व को समझना अत्यंत आवश्यक है !

आज इतने लंबे समय के उपरांत प्रसिद्ध दिग्दर्शक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने द कश्मीर फाइल्स चलचित्र के माध्यम से अत्याचारियों को विश्‍व के पर्दे पर दिखाने का प्रशंसनीय प्रयत्न किया है ।ं

सीधे ईश्वर से चैतन्य और मार्गदर्शन ग्रहण करने की क्षमता होने से, आगामी ईश्वरीय राज्य का संचालन करनेवाले सनातन संस्था के दैवी बालक !

कु. प्रार्थना पाठक ने इतनी छोटी आयु में ही अब तक अनेक ग्रंथ पढ लिए हैं । आयु में कहीं अधिक बडे कितने साधक ऐसा वाचन करते होंगे ? इस वाचन के कारण, अध्ययन के कारण इतनी छोटी आयु में ही प्रार्थना ने ६७ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त किया है । आगे वह शीघ्र ही संत बनेगी ।

मथुरा के संत श्री गोविंदाचार्यजी से सनातन संस्था के साधकों ने भेंट ली !

सनातन पंचांग देखकर संत श्री गोविंदाचार्यजी ने कहा, ‘‘यह पंचांग बहुत ही अच्छा है । इसमें बहुत सारी अच्छी जानकारी दी गई है ।’’ उन्होंने सनातन संस्था के साधकों को रमणरेती आश्रम में भी आने का निमंत्रण दिया ।

सनातन के ‘ज्ञानशक्ति प्रसार अभियान’ को कोलकाता के पू. संत स्वामी श्री कल्याणेश्वरजी महाराज के आशीर्वाद

स्वामीजी को सनातन के ग्रंथ भेंट किए गए । उन्होंने उनमें से कुछ ग्रंथ उत्सुकता से पढे और वे कहने लगे, ‘‘मैं बहुत रुचि से सनातन के ग्रंथ और पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ पढता हूं ।’’ इससे पूर्व भी विविध कार्याें के लिए स्वामीजी के आशीर्वाद मिले हैं ।

वर्षगांठ के निमित्त परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का संदेश

‘सनातन प्रभात’ की ज्ञानशक्ति का परिपूर्ण लाभ लें और हिन्दू राष्ट्र के कार्य का एक अंग बनने के साथ इस जन्म का सार्थक करने के लिए उत्तम साधक बनने की प्रक्रिया आरंभ करें !’