हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में ‘सनातन प्रभात’ की सक्रिय सहभागिता, उसे प्राप्त सफलता और पाठकों को होनेवाला आध्यात्मिक लाभ !

पू. अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णीजी

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में ‘सनातन प्रभात’ की सक्रिय सहभागिता’, यह विषय मैं एक पाठक, एक साधक, एक हिन्दू धर्मप्रेमी और एक राष्ट्रप्रेमी की दृष्टि से प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहा हूं ।

. ‘सनातन प्रभात’ समाचार ‘पत्र’ नहीं ‘शस्त्र’ !

भारत की स्वतंत्रता के पूर्व ‘दर्पणकार’ बाळशास्त्री जांभेकर शास्त्री ने ६ जनवरी १८१२ के दिन ‘दर्पण’ नाम का दैनिक आरंभ किया । जिसके कारण स्वतंत्रता के विषय में व्यापक जागृति हुई । तदुपरांत देश को स्वतंत्रता मिली; परंतु धर्मप्रेमियों के मन में एक ग्लानी निर्माण हुई । वह दूर हो, ऐसी ईश्वरेच्छा हुई और ‘सनातन प्रभात’ नियतकालिक आरंभ हुआ । स्वतंत्रता के पूर्व काल में ‘दर्पण’ ने जो भूमिका निभाई थी, वही भूमिका स्वतंत्रता के उपरांत ‘सनातन प्रभात’ निभा रहा है । इसलिए इसे समाचार ‘पत्र’ नहीं, ‘शस्त्र’ कहना चाहिए ।

. ‘सनातन प्रभात’ के कारण पाठकों को अत्यधिक आध्यात्मिक लाभ होना !

‘सनातन प्रभात’ की जानकारी का पाठकों को आध्यात्मिक स्तर पर लाभ होता है । श्रीरामनवमी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी अथवा गणेशोत्सव जैसे उत्सव होते हैं, तब उस देवता की पूजा कैसे करें ? वहां कौन-सी रंगोली बनाएं ? देवता को कौन-से फूल अर्पण करें ? चैतन्यदायी आवाज में आरती कैसे कहें ? इस विषय का अमूल्य ज्ञान सनातन प्रभात में दिया जाता है ।

. मंदिर सरकारीकरण के कारण मंदिरों में होनेवाले अनुचित कृत्यों के विषय में हिन्दुओं में जागृति होना

अनेक हिन्दू मंदिरों का सरकारीकरण होने के कारण वहां होनेवाला भ्रष्टाचार, मंदिरों की भूमि हडपना, धन का अपव्यय करना, सोने के आभूषणों की लूट करना इत्यादि अनुचित कृत्यों की स्पष्ट शब्दों में जानकारी सनातन प्रभात में दी जाती
है । साथ ही मंदिर सरकारीकरण का दुष्परिणाम और ‘मंदिर ही चैतन्य का मूल स्रोत तथा धर्म की आधारशिला है’ इस विषय में भी जागृति की जाती है । इसलिए सरकारीकरण हुए मंदिरों को भक्तों के नियंत्रण में देने के विषय में जागृति भी सनातन प्रभात के माध्यम से की जाती है ।

. हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों का सत्य और प्रखरता से समाचार देने के कारण हिन्दुओं में जागृति होना

आज राष्ट्र और धर्म की स्थिति अत्यधिक विकट है । बंगाल में हिन्दुओं पर बडी संख्या में आक्रमण किए गए । वहां हिन्दुओं के घर जलाएं गए । ४०० से ५०० हिन्दुओं को असम में आश्रय लेना पडा । चुनाव के काल में ‘पोलिंग एजेंट’ के रूप में काम करनेवाली महिलाओं पर बलात्कार किया गया । इस विषय में ‘सनातन प्रभात’ ने उचित प्रकार से सत्यान्वेषण और सटीक समाचार दिए । किसी दंगे का समाचार देते हुए अधिकांश नियतकालिक आक्रमकों को मुख्य रूप से धर्मांधों को बचाते हुए दिखाई देते हैं । दंगे न बढें इस छद्म विचारधारा के नाम पर हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों के समाचार नहीं दिए जाते । अन्य समाचारपत्रों में दंगों के विषय में पूरा समाचार नहीं दिया जाता । इसके विपरित ‘सनातन प्रभात’ में दंगे अथवा आक्रमण किस कारण हुए ? वह किसने किए ? उसमें हिन्दुओं की कितनी हानि हुई ? इस विषय में स्पष्ट जानकारी दी जाती है । साथ ही उसका सटीक विश्लेषण भी किया जाता है । धर्म, साधु-संत और मंदिरों पर अनेक आघातों के विषय में ‘सनातन प्रभात’ में उचित शब्दों में वार्तांकन किया गया । इस कारण अनेक स्थानों पर धर्माभिमानी अधिवक्ता और धर्मप्रेमियों को उचित कृति करना संभवहुआ । ‘सनातन प्रभात’ केवल भारत में ही नहीं, अपितु बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका, इन देशों में भी हिन्दुओं पर किए जानेवाले आघातों को भी प्रकाशित करता है । इसलिए विदेश के अनेक हिन्दूप्रेमी सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति से सदैव के लिए जुड गए ।

. सनातन प्रभात के संपादकीय विचारों द्वारा राष्ट्र और धर्म का कार्य करने के लिए पाठकों का प्रोत्साहित होना

संपादकीय दृष्टिकोण ‘सनातन प्रभात’ की विशेषता है । इस समाचारपत्र में चलचित्र, अभिनेता, क्रिकेट की जानकारी, प्रक्षोभक अथवा समाज की हानि हो, ऐसे विज्ञापन नहीं दिए जाते । संपादकीय लेख कितने तेजस्वी होते हैं । पाठकों को जागृत कर राष्ट्र और धर्म के कार्य हेतु प्रोत्साहित किया जाता है । इस दृष्टि से संपादकीय विचार निर्भीकता से प्रस्तुत किया जाता है । इसलिए अनेक पाठक भी अपने-अपने क्षेत्र में इस कार्य के लिए क्रियाशील हुए हैं और उन्हें देश में हिन्दू राष्ट्र-स्थापना की आवश्यकता अनुभव होने लगी है ।

६. कोरोना महामारी के काल में पाठकों के लिए ‘सनातन प्रभात’ बना आधार

कोरोना महामारी ने विगत १.२५ वर्ष से कोहराम मचा रखा है । इस कारण पूरे विश्व में लाखों लोगों की मृत्यु हुई और अनेकों का मनोबल नष्ट हुआ । उनके मनोबल में वृद्धि हो, इसलिए ‘सनातन प्रभात’ में इस रोग से ठीक हुए व्यक्तियों के अनुभव दिए जाते हैं । इससे पाठकों को सकारात्मक दृष्टिकोण मिलता है । इनके साथ ही निजी और शासकीय तंत्र के कारण रोगियों को हुए कटु अनुभव भी दृष्टिकोण सहित सनातन प्रभात में प्रकाशित किए जाते हैं । इसका अनेक साधक, पाठक, विज्ञापनदाता, शुभचिंतक और धर्मप्रेमियों को आध्यात्मिक लाभ हुआ है । इसलिए अनेक लोग सनातन प्रभात के विषय में कृतज्ञता व्यक्त करते हैं ।

७. हिन्दुत्वनिष्ठ और धर्मप्रेमियों में हुई जागृति, यही ‘सनातन प्रभात’ की सफलता !

वर्ष २०१४ से भारत में हिन्दू राष्ट्र स्थापना की चर्चा आरंभ हुई; परंतु ‘सनातन प्रभात’ ने वर्ष १९९९ से ही ‘ईश्वरी राज्य की स्थापना’ अर्थात ‘हिन्दू राष्ट्र’ की स्थापना के लिए प्रयास आरंभ किए । जिस प्रकार वीर सावरकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए आग्रही थे, उसी प्रकार वर्तमानकाल में हिन्दू हृदयसम्राट बाळासाहेब ठाकरे के सपनों का हिन्दू राष्ट्र मूर्त स्वरूप में लाने के लिए अनेक धर्मप्रेमी उत्सुक है । ऐसे धर्मप्रेमियों को ‘सनातन प्रभात’ द्वारा योग्य दृष्टिकोण प्राप्त होता है । इस कारण उनमें जागृति होती है । मैं अभिमान से बताना चाहूंगा कि धर्म और राष्ट्र कार्य करने के लिए अनेक हिन्दुत्वनिष्ठ एवं धर्मप्रेमी ‘सनातन प्रभात’ के कारण ही प्रेरित हुए हैं । पूरे भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ और धर्मप्रेमियों में राष्ट्र एवं धर्म के विषय में निर्माण हुई जागृति ‘सनातन प्रभात’ की सफलता माननी होगी ।
– (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी, संस्थापक सदस्य, हिन्दू विधिज्ञ परिषद और अधिवक्ता, मुंबई उच्च न्यायालय. (१७.०५.२०२१)

  • ‘सनातन प्रभात’ के विषय में लिखना, सूरज को दीया दिखाने समान है ! – (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी
  • ‘सनातन प्रभात’ के विषय में लिखना, यह मूढ (मूर्ख) व्यक्ति द्वारा साधना, राष्ट्र और धर्म के विषय में अत्यधिक प्रगतिशील समूह के विषय में लिखना अर्थात दीये अथवा जुगनू द्वारा सूर्य को प्रकाश दिखाने समान है, ऐसा मुझे लगता है
  • ‘सनातन प्रभात’ पढते पढते ‘मैं कब सनातन का साधक हो गया’, यह मुझे ही ज्ञात नहीं हुआ ! – (पू.) अधिवक्ता सुरेश कुलकर्णी

पहले में ‘सनातन प्रभात’ पढता था । एक बार ‘सनातन प्रभात’ के संपादक को बंदी बनाया गया । उन पर प्रविष्ट अपराध रद्द हो, इसलिए मैंने मुंबई उच्च न्यायालय में अभियोग प्रविष्ट किया और उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास किया । तदुपरांत यह विषय वहीं तक मर्यादित नहीं रहा, अपितु सनातन प्रभात पढते-पढते मैं सनातन का साधक कब बन गया ?, यह मुझे ही ज्ञात नहीं हुआ । ऐसा अवसर विविध क्षेत्रों के अनेक धर्मप्रेमियों को ‘सनातन प्रभात’ ने प्रदान किया । इसलिए सनातन प्रभात का उन पर अत्यधिक उपकार है । इस विषय में मैं व्यक्तिगत रूप से कृतज्ञता व्यक्त करता हूं । यह कृतज्ञता व्यक्त करते हुए प्रत्येक व्यक्ति (उसके जागृत हुए भाव के कारण) साधक ही हो गया है अथवा सदैव के लिए सनातन के कार्य से जुड गया है, यह अनेक बार पाठकों द्वारा व्यक्त किए गए मनोगत से स्पष्ट हुआ है ।