आपातकाल में प्राणरक्षा हेतु करने योग्य तैयारी

आपातकाल में सुरक्षित रहने हेतु व्यक्ति अपने बल पर कितनी भी तैयारी करे, महाभीषण आपदा से बचने हेतु अंत में पूर्ण विश्वास ईश्वर पर ही रखना पडता है । मानव यदि साधना कर ईश्वर की कृपा प्राप्त करे, तो ईश्वर किसी भी संकट में रक्षा करते ही हैं ।

राष्ट्रघाती अहिंसावाद !

‘असुरों से लडनेवाले देवता, साथ ही युद्ध में शत्रु को पराजित कर रामराज्य स्थापित करनेवाले प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण को अहिंसावादी मूर्ख मानते हैं क्या ? अहिंसावाद के कारण ही देश सभी क्षेत्रों में रसातल पर पहुंच गया है ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

हिन्दुओं द्वारा पश्चिमी जीवनशैली का अंधानुकरण करने का परिणाम !

‘वर्तमान काल में प्रत्येक भारतीय को महंगाई, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और असुरक्षितता जैसी अनेक समस्याओं का निरंतर सामना करना पड रहा है और ये दिन-प्रतिदिन बढती जा रही हैं ।

शोधकर्ताओं को अध्यात्म न समझने का कारण !

‘अध्यात्म मन एवं बुद्धि के परे है । मनोलय एवं बुद्धिलय होने पर वास्तविक अर्थों में अध्यात्म में प्रवेश होता है । इसलिए मन एवं बुद्धि के स्तर पर रहनेवाले शोधकर्ताओं को अध्यात्म समझ में नहीं आता ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

अहिंसावादी भुला दिए जाएंगे !

‘संघर्ष कर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करनेवाले छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम इतिहास में युगों-युगों के लिए अजर-अमर हो जाएगा; जबकि अहिंसावादियों का नाम ४०-५० वर्षों में पूर्णत: भुला दिया जाएगा ।’ – (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले

सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति आयोजित ‘ऑनलाइन’ गुरुपूर्णिमा महोत्सव भावपूर्ण वातावरण में संपन्न !

श्रीगुरु ने भक्त, शिष्य एवं साधकों को जन्म-जन्म से तत्त्वरूप में संभाला है । ऐसे प्रीतिस्वरूप एवं भक्तवत्सल गुरुदेवजी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिवस अर्थात गुरुपूर्णिमा

सप्तर्षि द्वारा वर्ष २०२१ की गुरुपूर्णिमा के गुरुपूजन हेतु निर्मित चित्र की विशेषताएं

उपरोक्त चित्र के ऊपरी भाग, मध्यभाग एवं निचले भाग को स्पर्श कर क्या अनुभव होता है ?, इसकी अनुभूति लें ।

सप्तर्षियों के बताए अनुसार वर्ष २०२० और २०२१ की गुरुपूर्णिमा में पूजन किए गए चित्रों के संदर्भ में सद्गुरु डॉ. गाडगीळजी को हुई अनुभूति !

वर्ष २०२१ की गुरुपूर्णिमा में सप्तर्षियों के बताए अनुसार चित्र बनाकर उसका पूजन रामनाथी आश्रम में किया गया । उस चित्र की ओर देखकर मुझे हुई अनुभूति इस लेख में दी है ।

सनातन की गुरुपरंपरा !

कुलार्णवतन्त्र, उल्लास १४, श्लोक ३७ के अनुसार मादा कछुआ केवल मन में चिंतन कर भूमि के नीचे रखें अंडों को उष्मा देती है, बच्चों को बडा करती है और उनका पोषण करती है, उसी प्रकार गुरु केवल संकल्प द्वारा शिष्य की शक्ति जागृत करते हैं तथा उसमें शक्ति का संचार करते हैं ।

‘आपातकाल’ भी भगवान की एक लीला होने के कारण परात्पर गुरु डॉक्टरजी, श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के चरणों में शरणागत होकर आपातकाल का सामना करें !

वर्तमान आपातकाल में साधक अनेक स्तरों पर संघर्ष कर रहे हैं । कोई पारिवारिक, कोई सामाजिक, कोई आर्थिक, कोई शारीरिक, कोई मानसिक, तो कोई बौद्धिक संघर्ष कर रहा है !