सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘बुद्धिप्रमाणवादियों को यह अहंकार होता है कि ‘मुझे सब ज्ञात है ।’ फलस्वरूप कुछ जानने की जिज्ञासा न होने के कारण बुद्धि के परे का अध्यात्मशास्त्र उन्हें बिलकुल ज्ञात नहीं होता । तब भी वे अध्यात्म के अधिकारी संतों पर भी टीका करने से नहीं चूकते !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले