भाषण की स्वतंत्रता द्वारा दूसरों की धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं किया जा सकता है ! – इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ न्यायपीठ
लक्ष्मणपुरी (लखनऊ, उत्तर प्रदेश) – ‘यद्यपि संविधान बोलने की स्वतंत्रता प्रदान करता है, इसका अर्थ यह नहीं है कि कोई अन्य धर्मों के विरुद्ध बोल सकता है तथा उन धर्मों की धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है’