#Ayurved : …बीमारियों का मूल तथा उसकी दैवी चिकित्सा

कोई भी बीमारी शरीर में विद्यमान वात, पित्त अथवा कफ के स्तर में आनेवाले परिवर्तन के कारण होती है । आयुर्वेद के अनुसार कैंसर से लेकर हृदयरोग तक तथा पक्षाघात से लेकर मधुमेह तक सभी रोगों का मूल यही है ।

#Ayurved : बीमारी के आध्यात्मिक कारण तथा दैवी चिकित्सा !

औषधियों के साथ आयुर्वेद ‘दैवी चिकित्सा’ भी बताता है । अधिकतर किसी भी शारीरिक बीमारी में कुछ स्तर पर आध्यात्मिक तथा कुछ स्तर पर मानसिक भाग होता है ।

#Ayurved : ‘बीमारियां न हों’; इसलिए आयुर्वेद द्वारा सुझाए गए उपचार !

प्रज्ञापराध (बुद्धि, स्थैर्य, स्मृति, इनसे दूर जाकर तथा उससे होनेवाली हानि ज्ञात होते हुए भी शारीरिक, वाचिक अथवा मानसिक स्तर पर पुनः-पुनः किया जानेवाला अनुचित कृत्य) होने न देना

#Ayurved : देह में विद्यमान ‘अग्नि’ ही स्वास्थ्य लाभ का मूल है !

स्वास्थ लाभ के लिए देह में विद्यमान अग्नि का (पाचन शक्ति का) महत्त्व !

२५.१०.२०२२ को दिखाई देनेवाला खंडग्रास सूर्यग्रहण, ग्रहण की अवधि में पालन किए जानेवाले नियम तथा ग्रहण का राशि के आधार पर मिलनेवाला फल !

‘विक्रम संवत अनुसार कार्तिक अमावस्या एवं शक संवत अनुसार आश्विन अमावस्या (२५.१०.२०२२, मंगलवार) को भारत सहित एशिया उपमहाद्वीप का मध्य का क्षेत्र तथा पश्चिम का प्रदेश, संपूर्ण यूरोप उपमहाद्वीप, अफ्रीका उपमहाद्वीप का पूर्वाेत्तर प्रदेश, इन प्रदेशों में ग्रहण दिखाई देगा ।

#Diwali : नरक चतुर्दशी के दिन सवेरे अभ्यंगस्नान क्यों करते है ?

शक संवत अनुसार आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी नरक चतुर्दशी के नाम से जानते हैं । इस तिथि के नाम का इतिहास इस प्रकार है …

#Diwali : दीपावली के समय तेल के दीप क्यों जलाए जाते हैं ?

दीपावली में प्रतिदिन सायंकाल में देवता और तुलसी के समक्ष, साथ ही द्वारपर एवं आंगन में विविध स्थानों पर तेल के दीप जलाए जाते हैं ।

#Diwali : लक्ष्मीपूजन के अवसर पर रात को रात को झाडू क्यों लगाएं ?

अलक्ष्मी अर्थात दरिद्रता, दैन्य और आपदा । नि:सारण करने का अर्थ है बाहर निकालना ।

#Diwali : विनाशकारी पटाखोंपर प्रतिबंध लगाएं !

अमावास्याका अंधेरा कान फाडनेवाले पटाखोंके कारण दूर नहीं होता; अपितु आंखोंके समक्ष जुगनूके समान चमककर सर्वत्र गहराता हुआ अंधकार होनेका ही भ्रम होता है ।

#Diwali : तुलसी विवाह

तुलसी विवाह के दिनसे शुभ दिवसका, अर्थात मुहूर्तके दिनोंका आरंभ होता है । ऐसा माना जाता है कि, ‘यह विवाह भारतीय संस्कृतिका आदर्श दर्शानेवाला विवाह है ।’ घरके आंगनमें गोबर-मिश्रित पानी छींटिए ।