#Diwali : नरकचतुर्दशी
आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी नरक चतुर्दशीके नामसे जानते हैं । दीपावलीके दिनोंमें अभ्यंगस्नान करनेसे व्यक्तिको अन्य दिनोंकी तुलनामें ६ प्रतिशत सात्त्विकताका अधिक लाभ मिलता है ।
आश्विन कृष्ण चतुर्दशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी नरक चतुर्दशीके नामसे जानते हैं । दीपावलीके दिनोंमें अभ्यंगस्नान करनेसे व्यक्तिको अन्य दिनोंकी तुलनामें ६ प्रतिशत सात्त्विकताका अधिक लाभ मिलता है ।
‘धनत्रयोदशी’ दिनके विशेष महत्त्वका कारण यह दिन देवताओंके वैद्य धन्वंतरिकी जयंतीका दिन है । धनत्रयोदशी मृत्युके देवता यमदेवसे संबंधित व्रत है । यह व्रत दिनभर रखते हैं । व्रत रखना संभव न हो, तो सायंकालके समय यमदेवके लिए दीपदान अवश्य करते हैं ।
दीप प्राणशक्ति एवं तेजस्वरूप शक्ति प्रदान करता है । दीपदान करने से व्यक्ति को तेज की प्राप्ति होती है । इससे उसकी प्राणशक्ति में वृद्धि होती है और उसे दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है ।
आश्विन अमावस्या अर्थात दिवाली में लक्ष्मी पूजा के दिन सर्व मंदिरों, दुकानों तथा घरों में श्री लक्ष्मीपूजन किया जाता है । यहां, इस पूजा की सरल भाषा में शास्त्रीय जानकारी दी है ।
‘अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जानेवाला त्यौहार है दिवाली ! ‘दिवाली अर्थात उत्साह । दिवाली अर्थात आनंद’, ऐसा विचार करनेपर साधकों के जीवन में केवल गुरु भगवान की कृपा के कारण इतना आनंद होता है कि हम प्रत्येक क्षण दिवाली अनुभव करते हैं ।
वसुबारस अर्थात् गोवत्स द्वादशी दीपावलीके आरंभमें आती है । यह गोमाताका सवत्स अर्थात् उसके बछडेके साथ पूजन करनेका दिन है । शक संवत अनुसार आश्विन कृष्ण द्वादशी तथा विक्रम संवत अनुसार कार्तिक कृष्ण द्वादशी गोवत्स द्वादशीके नामसे जानी जाती है ।
हिन्दू जनता के हित में कार्य करनेवाली तथा हिन्दू राष्ट्र की मांग का बीज बोनेवाली हिन्दू जनजागृति समिति के २० वर्ष पूर्ण हुए हैं । हिन्दू जनजागृति समिति धर्मजागृति, धर्मशिक्षा, हिन्दू-संगठन, धर्मरक्षा एवं राष्ट्ररक्षा, इन सूत्रों को सामने रखकर अविरत कार्यरत है ।
औषधीय प्रतिष्ठानों द्वारा डॉक्टरों को भेंट के रूप में दी जानेवाली औषधियों पर दी जानेवाली करों में छूट निरस्त !
रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण कर ‘प्रत्यक्ष रूप से युद्ध नहीं होगा’, ऐसे सभी सिद्धांतों को झूठा साबित करना
साडी और चोली वस्त्र-नारियल से देवी का आंचल भरना, यह देवी के दर्शन के समय किया जानेवाला एक प्रमुख उपचार है । यह शास्त्र समझकर, इसे भावपूर्ण करने से, उसका आध्यात्मिक लाभ अधिक प्रमाण में श्रद्धालु को मिलता है ।