Lecturing India On Human Rights : भारत अपने लोकतंत्र की कमियां तभी सुधार करेगा, जब अमेरिका भी स्वयं की चूकें स्वीकार करेगा !

भारतीय वंश के अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने अमेरिका को दिखाया आइना !

अमेरिका के भारतीय वंश के सांसद रो खन्ना

वॉशिंग्टन (अमेरिका) – अमेरिका के भारतीय वंश के सांसद रो खन्ना ने अमेरिका में ‘देसी डिसाइड्स’ नामक परिषद में वक्तव्य देते हुए कहा, ‘व्याख्यान सुनने की अपेक्षा भारत अपने लोकतंत्र की त्रुटियों में तभी सुधार करेगा, जब अमेरिका भी स्वयं की चूकें स्वीकार करेगी । भारत से चर्चा करने का यह सर्वोत्तम मार्ग है ।’

सांसद बेरा

उन्होंने आगे कहा, ‘अमेरिका को मानवाधिकारों के सूत्रों को लेकर भारत के नेतृत्व से चर्चा करनी चाहिए । भारत में १५० वर्षों तक विदेशी सत्ता थी । इस कारण जब आप भारत को मानवाधिकारों के संदर्भ में व्याख्यान देते हो, तब वह आपकी नहीं सुनेगा ।’ भारतीय वंश के एक और सांसद बेरा ने खन्ना को समर्थन दिया है। बेरा ने कहा, ‘मैंने भारत के विदेश मंत्री से भी मानवाधिकारों के सूत्रों पर चर्चा की थी । मुझे भारत के विदेशमंत्री ने कहा था, ‘यदि भारत अपनी धर्मनिरपेक्ष प्रतिमा गंवा देता है, तो शेष विश्व के सामने भारत की पहचान नष्ट हो जाएगी ।’ अमेरिका के पास अभी भी चैतन्यशील लोकतंत्र है । हमारा विपक्ष दल है । हमारा वृत्तपत्र स्वतंत्रता पर विश्‍वास है । यह सभी बातें मुझे भारत के संदर्भ में चिंतित करती हैं । मुझे आशा है कि भारत का लोकतंत्र बना रहेगा ।’ (भारत ने अमेरिका को आडे हाथ लेकर कहना चाहिए, ‘भारत में भी स्वतंत्रता है एवं इस विषय में अमेरिका के सांसद चिंता न करें । उनको अमेरिका के अश्‍वेत नागरिकों की स्वतंत्रता की चिंता करनी चाहिए ।’ – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

अमेरिका भारत को सदैव बताता रहता है कि भारत के लोकतंत्र में क्या क्या खामियां हैं । इसकी अपेक्षा उसको स्वयं के देश की खामियां दूर करने की ओर ध्यान देना चाहिए !

  • भारतीय वंश के अमेरिकी सांसद जयपाल का भारतद्वेष एवं मुसलमानप्रेम !

  • (और इनकी सुनिए…) ‘उघूर मुसलमानों को लेकर यदि चीन की आलोचना हो रही होगी, तो यह भी देखे कि भारत में क्या चल रहा है ?  

भारतीय वंश के सांसद जयपाल ने कहा, ‘सांसद के रूप में स्वयं की एवं अन्य देशों की आलोचना करने का साहस होना चाहिए । भारत अमेरिका के लिए महत्त्वपूर्ण आर्थिक सहभागी है । परंतु अमेरिका को अपने मूल्यों का भी विचार करना चाहिए । यदि अमेरिका चीन के उघूर मुस्लमों की आलोचना करती है, तो उसको देखना चाहिए कि भारत में क्या चल रहा है ? मैं जानता हूं कि यदि मैं यह सब बताऊं तो मुझे बुरा कहा जाएगा । तथापि जो कुछ अनुचित है, उसकी मैं आलोचना करूंगा । क्योंकि ऐसा न करना, यह अमेरिकी मूल्यों के विरुद्ध होगा ।’ (अमेरिका के अश्‍वेत नागरिकों के विरुद्ध क्या चल रहा है ?, इस विषय में जयपाल मुंह क्यों नहीं खोलते ? – संपादक)

संपादकीय भूमिका 

भारत में मुस्लिम नहीं, अपितु हिन्दू असुरक्षित हैं, यही सत्य है, तब भी इसकी अनदेखी कर हिन्दुओं को ही पीटने की विद्वेषी मानसिकता भारत एवं विदेश के भारतियों को लगी है, यही ध्यान में आता है !