Madrassas Behind Closed Doors : मदरसे में पढ़ाई के नाम पर मानव तस्करी की साजिश का भंडाफोड !

  • अयोध्या से सहारनपुर जा रहे ९९ बच्चों की रिहाई !

  • ‘उत्तर प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग’ की कार्रवाई !

  • ५  मौलवी (इस्लाम के धार्मिक नेता) कब्जेमे !

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – मानव तस्करी के संदेह पर ‘उत्तर प्रदेश राज्य बाल संरक्षण आयोग’ ने बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने २६ अप्रैल को अयोध्या से ९९ नाबालिक बचोंको बचाया। यह भी सामने आया कि इस कार्रवाई से पहले कई बच्चों को सहारनपुर भेजा गया था। उनसे मज़दूरी कराई जाती थी और मदरसों में पढ़ाने के नाम पर उनकी पिटाई की जाती थी। इस बार पुलिस ने ५ मौलवियों को भी गिरफ्तार किया है। इनमें सहारनपुर के ‘दारुल उलूम रफाकिया मदरसा’ के संचालक तौसीफ और ‘दारा अरकम’ के रिजवान भी शामिल हैं ।

आयोग के सदस्य डाॅ. सुचिता चतुर्वेदी को बच्चों ने बताया कि, बिहार के अररिया जिले के कराहारा गांव का रहने वाला शाबे नूर उन्हें अलग-अलग मदरसों में भेजता है। सिर्फ सहारनपुर ही नहीं, दिल्ली, मुंबई, भाग्यनगर, छत्रपति संभाजीनगर, बेंगलुरु और आज़मगढ़ के मदरसों में भी बच्चे भेजे जाते हैं। इसके बदले में उसे मोटी रकम मिलती है।

इससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि मदरसा संचालक शपथ पत्र साबित कर बच्चों से हस्ताक्षर करा लेता है। अभिभावकों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। प्रतिज्ञा पत्र में लिखा है कि ‘सारा दायित्व बच्चों पर ही होगा।’ इसलिए, अगर मजदूर के रूप में काम करते समय किसी बच्चे की मृत्यु हो जाती है, तो भी संचालक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता है।

संपादकीय भूमिका 

मदरसे आतंकवाद, बलात्कार, समलैंगिक संबंध आदि के अड्डे हैं। इसलिए, कोई भी यह सोचेगा कि अब समय आ गया है कि सरकार पाकिस्तानी मूल के मानवाधिकार कार्यकर्ता और वर्तमान में लंदन में रह रहे आरिफ अजाकिया की राय पर विचार करे, ‘भारत में मदरसों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए’!