वक्फ बोर्ड – भारत की भूमि हडपनेवाला बोर्ड !

किसी भी देश में मुसलमान जब अल्पसंख्यक होते हैं, तब वे सदैव अत्यंत झूठा आक्रोश करते रहते हैं कि ‘हम इस देश में असुरक्षित हैं ।’ इन मुसलमानों को चाहे कितना भी पैसा, प्रतिष्ठा तथा पद दिए  गए, तब भी असुरक्षितता का उनका आक्रोश कभी रुकता नहीं है । प्रचुर मात्रा में पैसा, प्रतिष्ठा तथा प्रसिद्धि मिलकर भी फिल्म जगत के ‘खान’ उपनामवाले अभिनेताओं को तथा उनकी हिन्दू पत्नियों को भारत ‘असुरक्षित’ लगने लगता है ! मूलतः किसी भी भूभाग में मुसलमान अल्पसंख्यक हो, तब वह कभी भी असुरक्षित नहीं होता । इसके विपरीत, उसकी जिहादी वृत्ति एवं कृति के कारण अन्य धर्मी बहुसंख्यक समाज ही असुरक्षित होता है । वर्तमान समय में जिहादी वृत्ति के मुसलमानों के कारण संपूर्ण मानवजाति असुरक्षित बन गई है । इन जिहादी मुसलमानों के कारण तीसरा विश्वयुद्ध भडकने की तथा उसमें संपूर्ण मानवजाति के भस्मसात होने की बहुत संभावना बन गई है ।

भाग २

१३. वक्फ बोर्ड के सभी सदस्य मुसलमान होने से क्या वे कभी हिन्दुओं से न्याय करेंगे ?

वक्फ बोर्ड की यह समिति ऐसी है कि इस समिति में विधायक, सांसद, अधिवक्ता, न्यायाधीश, स्कॉलर (विद्वान), प्रशासनिक अधिकारी तथा ७ न्यायिक सदस्य, सभी मुसलमान ही होते हैं; इसलिए हिन्दुओं ने इस समिति के सामने अपनी शिकायत ठोस प्रमाणों सहित भी प्रविष्ट की, तब भी हिन्दू अथवा अन्य धर्मी शिकायतकर्ता को न्याय मिलने की बिल्कुल भी संभावना नहीं होती । हिन्दूद्वेषी नेताओं के द्वारा इस वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार प्रदान करने के कारण भारत की भूमि हडपने के लिए मानो इस वक्फ बोर्ड को खुली छूट मिली है । वक्फ बोर्ड ने अनेक गांवों में स्थित बंजर भूमि, तराई क्षेत्रों एवं वाटिकाओं के लिए आरक्षित भूमि पर अपना अधिकार जताकर उन्हें हडप लिया है । कुछ दिन उपरांत इन भूमि पर घर, मजारें एवं दरगाह बनाए जाते हैं । गांव के मुसलमान एकजुट होकर गांव के पटवारी को ७/१२ के उतारे पर इस हडपी हुई भूमि की प्रविष्टि करने के लिए कहते हैं । पटवारी इसमें अकेला पड जाता है । उसे गांव के हिन्दुओं का तथा प्रशासन  का साथ नहीं मिलता, जिसके कारण वह मुसलमान समुदाय से झगड नहीं सकता । वह कानून की कार्यवाही करने के झमेले में नहीं पडता तथा अंततः वह ७/१२ पर वक्फ बोर्ड के स्वामित्व की प्रविष्टि कर देता है ।

मुसलमानों ने साम, दाम, दंड एवं भेद, इन पैतरों से अनेक देशों में भूमि हडप ली है । उसके कारण केवल अरबस्तान तथा उसमें भी अल्प भूभाग तक सीमित मुसलमान पंथ ने अल्पावधि में ही विश्व में ५७ इस्लामी राष्ट्रों का निर्माण किया है ।

१४. प्रत्येक गांव के चारों दिशाओं में स्थित भूमि धर्मांधों के नियंत्रण में !

धर्मांधों ने भारत के प्रत्येक गांव में स्थित चारों दिशाओं की भूमि एक तो हडप ली है अथवा खरीद ली है । उन्होंने प्रत्येक महामार्ग की भूमि पर बडे-बडे होटल बनाए हैं । असम, नेपाल जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में उन्होंने अनेक बडी मस्जिदों तथा मदरसों का निर्माण किया है । संपूर्ण भारत में रेल विभाग के आस-पास स्थित बंजर भूमि हडपकर उन्होंने वहां बडे स्तर पर मुसलमान बस्तियां बसाई हैं । रेलमार्ग के आस-पास बसी ये मुसलमान बस्तियां भविष्य में भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए बहुत ही संकटकारी सिद्ध होनेवाली हैं । मुसलमानों का यह अतिक्रमण हटाना, एक जटिल समस्या बन गई है । किसी हिन्दुत्वनिष्ठ सरकार द्वारा इस अतिक्रमण को हटाने का प्रयास करने पर हिन्दूद्वेषी नेता तुरंत ही मुसलमानों का पक्ष लेकर सडक पर उतर आते हैं तथा अतिक्रमण हटाने का विरोध करते हैं ।

१५. हिन्दूद्वेषी शासनकर्ताओं के द्वारा घुसपैठियों को भूमि दी जाना

मुसलमानों द्वारा अवैधरूप से हडपी गई भूमि पर मस्जिदें, दरगाह तथा मदरसे तो बनाए ही जाते हैं; परंतु साथ ही भारत में अवैध रूप से घुसे बांग्लादेशी तथा म्यांमार से आनेवाले घुसपैठियों को भी  बसाया गया है । हिन्दूद्वेषी शासनकर्ताओं की ओर से उन्हें बिजली, पानी, अनाज जैसी सुविधाएं दी जा रही हैं ।

श्री. शंकर पांडे

१६. धर्मांधों द्वारा गढ-किलों पर भी अतिक्रमण कर वहां की भूमि हडपना

जिन छत्रपति शिवाजी महाराज ने आक्रमणकारी, क्रूर एवं धर्मांध विदेशी आक्रांताओं को पराजित कर हिन्दवी स्वराज की स्थापना की थी तथा जो गढ-किले उन्हें अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय थे, उन गढ-किलों की आज क्या स्थिति है ? अनेक गढ-किलों पर मुसलमानों ने अतिक्रमण कर वहां बडे स्तर पर घर, मस्जिदें तथा दरगाहों का निर्माण किया है । पुरातत्व विभाग ने कभी इस अतिक्रमण की ओर ध्यान नहीं दिया । कभी-कभी तो मेरे मन में यह प्रश्न उठता है कि पुरातत्व विभाग का यह सफेद हाथी किसलिए पाला-पोसा जाता है ? हमारी भ्रष्ट नौकरशाहों के विषय में तो क्या बोला जाए ? २-४  सहस्र रुपए की रिश्वतखोरी के लिए ये नौकरशाह बांग्लादेशी तथा रोहिंग्याओं को भारत में अवैधरूप से घुसने देते हैं; उन्हें चुनाव परिचयपत्र, आधार कार्ड, राशन कार्ड उपलब्ध करा देते हैं;  घुसपैठियों द्वारा अतिक्रमण कर बनाए घरों को बिजली, पानी जैसी अनेक सुविधाएं उपलब्ध करा देते हैं । इन्हीं नौकरशाहों ने गढ-किलों पर अतिक्रमण कर बनाए गए घरों एवं मस्जिदों को बिजली एवं पानी की सुविधा उपलब्ध कराई है तथा हिन्दू समाज के विषय में तो क्या बात की जाए : शताब्दी से कोई एकाध हिन्दूहित के लिए कार्यरत हिन्दू नेता प्राणों की पराकाष्ठा कर सदैव नींद में लिप्त हिन्दुओं को जागृत करता है; परंतु हिन्दू समाज पुनः कुंभकर्ण की नींद में लिप्त हो जाता है ।

छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिन्दू समाज को एक बार जागृत किया था; परंतु छत्रपति शिवाजी महाराज की अवतार समाप्ति होते ही हिन्दू समाज पुनः निद्राधीन हो गया । जातियों में बंट गया, स्वार्थ में डूब गया, असंगठित हुआ तथा हिन्दू समाज ने पुनः ‘मुझे इससे क्या ?’ की आत्मघातक वृत्ति धारण की ।

इसके फलस्वरूप मुसलमान समाज द्वारा गढ-किलों पर अतिक्रमण करते समय भी हिन्दू समाज ने उसकी अनदेखी की । वह अलिप्त वृत्ति धारण कर मौन रहा । गढ-किलों पर किए गए अतिक्रमण हटाना, अब एक जटिल समस्या बन चुकी है; क्योंकि अतिक्रमण हटाने की बात करते ही हिन्दूद्वेषी नेता मुसलमानों का पक्ष लेने के लिए आगे आएंगे, यह निश्चित है । कुछ हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों ने जब प्रतापगढ की तलहटी में स्थित अफजल खान की मजार के नाम पर मुसलमानों द्वारा वनभूमि पर किए अतिक्रमण को उखाडने की मांग की थी, उस समय धर्मवीर संभाजी महाराज का नाम देकर स्थापित एक तथाकथित संगठन ने ही उसका विरोध किया था ! (अफजल खान की मजार के निकट अतिक्रमण राज्य सरकार ने वर्ष २०२३ में हटा दिया है ।  – संपादक)

१७. ‘देश से सभी संसाधनों पर प्रथम अधिकार मुसलमानों का !’, इसका कार्यान्वयन करनेवाले कांग्रेसी प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह !

हिन्दूद्वेषी नेताओं द्वारा पारित वक्फ बोर्ड कानून के कारण मुसलमानों की भूमि हडपने की वृत्ति को प्रोत्साहन तथा बल मिला है । वैसे देखा जाए, तो इन हिन्दूद्वेषी नेताओं को संपूर्ण भारत ही मुसलमानों के हाथ में सौपना है; परंतु जब उन्हें ऐसा करना कठिन लगा, तब उन्होंने वक्फ बोर्ड का यह कानून पारित कर अप्रत्यक्ष रूप से हिन्दुओं की भूमि मुसलमानों को सौंपने का षड्यंत्र रचा ।

कांग्रेस के पूर्व तथा कठपुतली प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने तो एक बार खुलेआम यह वक्तव्य दिया था, ‘इस देश के सभी संसाधनों पर प्रथम अधिकार अल्पसंख्यकों का है ।’, तो यह प्रश्न उठता है कि क्या इस देश में हिन्दुओं का बहुसंख्यक होना अपराध है ? हिन्दुस्थान में हिन्दू बहुसंख्यक नहीं रहेंगे, तो अन्य कौन होंगे ? हिन्दूद्वेषी नेता जब अल्पसंख्यक शब्द का उल्लेख करते हैं, उस समय उन्हें केवल मुसलमान समाज ही अपेक्षित होता है । मूलतः इस देश में पारसी, बौद्ध एवं जैन, ये जो समाज अल्पसंख्यक हैं, वे उनकी गणना में ही नहीं होते । डॉ. मनमोहन सिंह केवल ऐसा वक्तव्य देखकर शांत नहीं रहे, अपितु उन्होंने अपने वक्तव्य को सच्चाई में उतारा । वर्ष २०१४ में जब लोकसभा चुनाव घोषित हुए, उस समय आचारसंहिता लगने से एक दिन पूर्व डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत की राजधानी देहली के महत्त्वपूर्ण स्थानों पर स्थित १-२ नहीं, अपितु १२३ भूमि वक्फ बोर्ड को सौंपने के आदेश पर हस्ताक्षर किए, मानो इस देश की हिन्दुओं की भूमि मुसलमानों को खैरात के रूप में बांटने के लिए ही बनी है । ठीक है, इन हिन्दूद्वेषी नेताओं के द्वारा ‘अल्पसंख्यक, अल्पसंख्यक’ कहकर मुसलमानों का जो निरंतर तुष्टीकरण होता है, तो मुसलमान समाज क्या आज इस देश में वास्तव में अल्पसंख्यक है ? वर्ष १९४७ में २ करोड की जनसंख्यावाले मुसलमानों की जनसंख्या आज २० से २५ करोड तक पहुंच गई है । अनेक राज्य, जिले एवं गांव मुसलमान बहुल बन चुके हैं । विश्व के ५७ इस्लामी राष्ट्रों में से एक भी इस्लामी राष्ट्र के मुसलमानों की जनसंख्या भारत के मुसलमानों जितनी नहीं है, तब भी मुसलमानों का यह लाड-प्यार कब तक चलेगा ? क्या भारत देश संपूर्ण मुसलमानबहुल होने तक ऐसा चलेगा ? जैसे कुछ प्रश्न इस परिप्रेक्ष्य में उठते हैं । ‘वक्फ बोर्ड भारत की जिस भूमि पर अपना अधिकार जताएगा, वह भूमि वक्फ बोर्ड की हो जाएगी’, यह कानून हिन्दू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी, ईसाइयों में से किसी भी धर्मी के लिए नहीं, केवल मुसलमानों के लिए ही क्यों बनाया गया ? क्या हिन्दूद्वेषी नेता इन प्रश्नों के उत्तर दे सकेंगे ?

१८. वक्फ बोर्ड कानून का भय दिखाकर आदिवासियों से बलपूर्वक भूमि हडपना अथवा उनका धर्मांतरण करना

वक्फ बोर्ड को दिए गए असीमित एवं संवैधानिक अधिकारों का मुसलमान समाज ने बडे स्तर पर दुरुपयोग किया है । इसके कुछ उदाहरण अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने अपने विवेचन में दिए हैं । जैसे कि छबुआ – मध्य प्रदेश का आदिवासी बहुल गांव मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से ७०० किलोमीटर दूर है । ऐसे गांव में जाकर वक्फ बोर्ड के मुसलमान गांव के आदिवासियों को धमकी देते हैं कि ‘आप सभी के घरों की भूमि तथा कृषि भूमि वक्फ बोर्ड के स्वामित्व की है; इसलिए तुम उसे तुरंत खाली करो ।’ आप चाहें, तो हमारे विरुद्ध न्यायालय जा सकते हैं; परंतु प्रथम यह भूमि खाली कीजिए, ऐसा वे बोलते हैं । ये आदिवासी अशिक्षित एवं भोले होते हैं । इससे वे भयभीत हो जाते हैं तथा मुसलमानों के सामने असहाय हो जाते हैं । उन्होंने कभी न्यायालय की सीढियां नहीं चढी होती हैं । उन्होंने कभी तहसील स्तर का न्यायालय भी नहीं देखा होता है । तो ये लोग भोपाल के वक्फ बोर्ड के सामने उपस्थित होकर अपनी शिकायत प्रविष्ट करेंगे, यह दूर-दूर तक संभव नहीं है । इसके अतिरिक्त अभियोग लडने के लिए इन गरीब आदिवासी समाज के पास पैसा भी नहीं होता है । आदिवासियों की यह दयनीय स्थिति देखकर मुसलमान उनके सामने धर्मांतरण का विकल्प रखते हैं । इन आदिवासी भाईयों के सामने इस विकल्प को मानने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं रहता । आदिवासी अपने घर एवं कृषि भूमि को बचाने के लिए धर्मांतरण करते हैं । इस प्रकार वक्फ बोर्ड कानून का आधार लेकर सहस्रों आदिवासियों का धर्मांतरण किया गया है, यह भी अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने बताया ।

१९. दूर रहनेवाले धनवान लोगों को कानून का भय दिखाकर उनकी भूमि हडपना !

अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने वक्फ बोर्ड को मिले अधिकारों का मुसलमान समाज के द्वारा किस प्रकार दुरुपयोग किया जाता है, इसका भी उदाहरण दिया है । वक्फ बोर्ड के मुसलमान भारत के सुदूर क्षेत्र में रहनेवाले किसी धनवान व्यक्ति, जो राज्य की राजधानी से ४०० से ५०० किलोमीटर की दूरी पर रहता है तथा न्याय मांगने के लिए वक्फ बोर्ड में जाना संभव नहीं होता, ऐसे व्यक्ति की भूमि पर अपना अधिकार जताकर उस धनवान व्यक्ति को उसकी भूमि का अधिकार छोडने के लिए सूचित करता है । उसके उपरांत वह धनी व्यक्ति वक्फ बोर्ड के सदस्य के सामने हाथ जोडकर इस संबंध में कोई समझौता करने का अनुरोध करता है । उसके उपरांत वक्फ बोर्ड उस व्यक्ति से ५ से २५ लाख रुपए लूटकर अपना दावा वापस लेने का
नाटक करता है ।

२०. वक्फ बोर्ड के पास भारत की ८ लाख ६५ सहस्र ६४६ एकड भूमि का स्वामित्व !

वक्फ बोर्ड जैसा भयानक कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश, ईरान, तुर्की जैसे किसी भी इस्लामी राष्ट्र में नहीं है; परंतु जहां हिन्दू बहुसंख्यक हैं, उस भारत में लागू है । इस कानून के कारण वक्फ बोर्ड के पास, रक्षा विभाग एवं रेल विभाग के पास जितनी प्रचंड भूमि का स्वामित्व है, उसके नीचे तीसरे क्रम की भूमि का स्वामित्व है । वर्तमान समय में वक्फ बोर्ड के पास भारत की ८ लाख ६५ सहस्र ६४६ एकड भूमि का स्वामित्व है, ऐसा बताया जाता है ।

२१. हिन्दुओं को जागृत होकर इस विषय में स्पष्टीकरण पूछना चाहिए !

इसमें दुर्भाग्य की बात यह है कि यहां के हिन्दुओं को ‘हिन्दूद्वेषी नेताओं ने उनके सर्वनाश के लिए इस प्रकार से वक्फ बोर्ड का कानून बनाया है तथा उसके कारण वक्फ बोर्ड ने भारत के हिन्दुओं की लाखों एकड भूमि हडप ली है’, यह कडवी सच्चाई भी ज्ञात नहीं है । हिन्दू जनता तो दूर रही; परंतु हिन्दुओं के अनेक विधायक, सांसद एवं मंत्रियों को भी इस कानून की जानकारी है अथवा नहीं ?, इस पर भी मुझे संदेह है । इसलिए अब तो हिन्दुओं को जागृत होकर उनके पास मत मांगने के लिए आनेवाले जनप्रतिनिधियों से स्पष्टीकरण पूछकर वक्फ बोर्ड के इस भयानक कानून को रद्द करने की मांग करनी चाहिए, अन्यथा ‘सब कुछ लुटाके होश में आने पर, हमने ये क्या किया ?’, ऐसा हिन्दुओं को कहना पडेगा, यह निश्चित है !’

(समाप्त)

– श्री. शंकर गो. पांडे, पुसद, यवतमाळ, महाराष्ट्र.