Katchatheevu Island Issue : इंदिरा गांधी ने ‘कच्चातिवु’ नामक भारतीय द्वीप श्रीलंका को भेटस्वरूप दिया !

  • प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गंभीर आरोप

  • तमिलनाडु तथा श्रीलंका के मध्य में है द्वीप !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी

नई देहली – कांग्रेस ने श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप दिया, यह गंभीर आरोप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ३१ मार्च को लगाया । उन्होंने कहा कि कांग्रेस के इस कृत्य से प्रत्येक भारतीय अप्रसन्न है । कांग्रेस पर विश्वास करना संभव नहीं है । ऐसे कृत्यों के कारण ही पिछले ७५ वर्षाें में भारत की एकता और अखंडता दुर्बल हुई । तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष १९७४ में यह द्वीप श्रीलंका को दिया था । प्रधानमंत्री ने यह दावा कच्चातिवु से संबंधित सूचना अधिकार से प्राप्त ब्योरे का हवाला देते हुए किया है ।

तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई ने सूचना अधिकार के अंतर्गत यह आवेदन किया था । इसके पहले १० अगस्त २०२३ को भी प्रधानमंत्री मोदी ने सभागृह में अविश्वास प्रस्ताव पर कच्चातिवु के संदर्भ में वक्तव्य दिया था ।

सूचना अधिकार के ब्योरे से प्राप्त जानकारी !

इस ब्योरे में कहा गया है कि,

१. वर्ष १९७४ में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तथा श्रीलंका की तत्कालीन राष्ट्रपति सिरिमावो भंडारनायके में एक समझौता हुआ था । इस समझौते के अंतर्गत कच्चातिवु द्वीप औपचारिक रुप से श्रीलंका के स्वाधीन किया गया । इंदिरा गांधी ने तमिलनाडु की लोकसभा के प्रचार को देखते हुए यह समझौता किया था ।

२. वर्ष १९७४ में दोनों देशों में दो बैठकें हुई थीं । पहली बैठक २६ जून १९७४ को कोलंबो में, तो दूसरी बैठक २८ जून को देहली में हुई । दोनों बैठकों में यह द्वीप श्रीलंका को देने में सहमति हुई ।

३. समझौते में कुछ शर्तें रखी गई थी । इनमें से एक शर्त ऐसी थी कि भारतीय मछुआरे इस द्वीप पर जाल सुखाने के लिए जा सकते हैं । साथ ही द्वीप पर बनाए गिरीजाघर में भारतीयों को वीजा मुक्त प्रवेश होगा ।

प्रधानमंत्री का निराधार वक्तव्य ! – कांग्रेस

इस दावे पर कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने कहा कि बिना किसी आधार के वक्तव्य देना, यह प्रधानमंत्री की मुख्य समस्या है । प्रधानमंत्री ९ वर्ष क्या कर रहे थे ? तमिलनाडु में चुनाव हैं तथा वहां पर भाजपा की धज्जियां उड रही हैं, ऐसा सभी सर्वेक्षणों से सामने आ रहा है, इसीलिए वे ऐसे वक्तव्य दे रहे हैं ।

कांग्रेस को कोई पश्चात्ताप नहीं है ! – केंद्रीय गृहमंत्री

इस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने कहा कि कांग्रेस ने कच्चातिवु का त्याग किया और इसके लिए उसे कोई पश्चात्ताप नहीं है । कभी कांग्रेस के सांसद देश के विभाजन की बात करते हैं, तो कभी भारतीय संस्कृती एवं परंपरा की अपकीर्ति (बदनाम) करते हैं । इससे समझ में आता है कि वे भारत की एकता और अखंडता के विरुद्ध हैं ।

कहां हैं कच्चातिवु द्वीप ?

तमिलनाडु में रामेश्वरम् से १९ किमी दूरी पर २८५ एकड में कच्चातिवु फैला है । यह द्वीप बंगाल की खाडी तथा अरबी समुद्र को जोडता है । १४वीं शताब्दि में ज्वालामुखी के फटने से यह द्वीप बना । वह रामेश्वरम् से लगभग १९ किलोमीटर तथा श्रीलंका के जाफना जिले से लगभग १६ किलोमीटर दूरी पर है ।

ऐसा है इस द्वीप का इतिहास !

२८५ एकड भूमि पर फैला यह द्वीप १७वीं शताब्दि में मदुरई के राजा रामनाद के अधिकार क्षेत्र में था । आगे ब्रिटीश शासनकाल में यह द्वीप ‘मद्रास प्रेसीडेंसी’ के नियंत्रण में गया । वर्ष १९४७ में भारत स्वतंत्र हुआ, तब सरकारी दस्तावेजों में उसे भारत का भाग घोषित किया गया; परंतु श्रीलंका सैदव उसपर स्वामित्व का दावा करता आया है ।

संपादकीय भूमिका

  • सामरिक दृष्टि से इतना महत्त्वपूर्ण द्वीप पडोसी राष्ट्र को भेंट में देनेवाली देशविरोधी कांग्रेस ! केंद्रशासन की चीन विषयक नीति पर आपत्ति उठानेवाले राहुल गांधी को उनकी दादी ने की इतनी बड़ी भूल के बारे में पूछना चाहिए !
  • चीनी ड्रैगन ने मानो मालदीव को निगला ही है । श्रीलंका का हम्बनटोटा बंदरगाह हो अथवा पाकिस्तान का ग्वादर बंदरगाह हो, चीन ने चारों ओर से भारत को मात देने के लिए कुटील दांव रचा है । ऐसे में भारत के लिए मालदीव को नियंत्रण में लेने के साथ कच्चातिवु द्वीप को फिर से हस्तगत करना आवश्यक है !