कंबोडिया में भारतीयों द्वारा बलपूर्वक करवाए जा रहे है साइबर क्राईम (अपराध) !

  • कंबोडिया से ७५ भारतीयों की मुक्तता !

  • ६ महीनों में ५०० करोड रुपए लूटने का आरोप !

प्रतिकात्मक छायाचित्र

नई देहली – कंबोडिया में लगभग ५ सहस्र भारतीय नागरिकों से बलपूर्वक साइबर अपराध करवाए जा रहे हैं, ऐसी जानकारी सामने आने के उपरांत वहां के भारतीय दूतावास ने ७५ भारतीयों को मुक्त कराया है । दूतावास के द्वितीय सचिव अवरान अब्राहम ने यह जानकारी दी ।

१. इस संदर्भ में १३० से अधिक शिकायत आने पर भारतीय दूतावास के अधिकारी सक्रिय हुए तथा उन्होंने यह कार्यवाही की । (शिकायत आने तक अधिकारी क्या सो रहे थे ? भारतीय नागरिक क्या कर रहे हैं ? उन्हें कोई समस्याएं तो नहीं हैं न ? इसकी जानकारी दूतावास क्यों नहीं लेता ? – संपादक) सरकार की जानकारी के अनुसार पीछले ६ महीनों में इन साइबर अपराधों के माध्यम से लगभग ५०० करोड रुपयों की ठगी हुई है । सरकारी अधिकारी होने का नाटक कर लोगों से पैसा लूटने का काम भारतीयों से करवाया जा रहा है ।

२. इस संदर्भ में भारत के गृह मंत्रालय ने विदेश मंत्रालय,तकनीकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र तथा अन्य सुरक्षा विशेषज्ञों की बैठक बुलाकर कंबोडिया में फंसे भारतीयों को मुक्त कराने के लिए नीति निश्चित की थी ।

३. अब्राहम ने बताया कि कंबोडिया के विविध भागों से प्रतिदिन ४-५ परिवाद दूरभाष द्वारा आ रहे हैं । ये शिकयत प्राप्त होने पर हम तुरंत पुलिस को इसकी जानकारी देते हैं, साथ ही इन लोगों को दूतावास तक कैसे पहुंचे ?, इसका मार्गदर्शन कर रहे हैं । अनेक लोगों पर मानसिक आघात होने से उनका समुपदेशन (काउंसलिंग) करने का कार्य भी हम कर रहे हैं । सबसे बडी समस्या यह है कि जब कंबोडिया में फंसे लोगों को मुक्त किया जाता है, तब वे भारत में जाकर अपराध प्रविष्ट नहीं करते । यदि वे अपराध प्रविष्ट करते हैं, तो भारतीय पुलिस इन दलालों तथा प्रतिष्ठानों तक पहुंच सकती है । (यदि वे स्वयं आगे आकर अपराध प्रविष्ट नहीं करते होंगे, तो गृह विभाग स्वयं आगे आकर कार्यवाही क्यों नहीं करता ? – संपादक) वर्तमान में हम केंद्रीय गृह विभाग के संपर्क में हैं । हमें जब किसी दलाल की जानकारी मिलती है, तब हम वह जानकारी गृह विभाग को देते हैं ।

कैसे फंसे भारतीय ?

‘कंबोडिया में ‘डाटा एंट्री’ की (जानकारी संगणक में टंकित करना) नौकरी है’, ऐसा पता चलने पर लोग यहां आते हैं; परंतु दलालों द्वारा उन्हें धोखा दिया जाता है तथा कुछ समय पश्चात उनके ध्यान में आता है कि हम जाल में फंस गए हैं । अधिकांश लोग निर्धन होने से उनमें से कुछ ने दलालों को नौकरी के लिए भारी भरकम राशि दी होती है । इसलिए वहीं रहकर किसी भी प्रकार से उसकी पूर्ति होने तक वे वहां रहते हैं तथा फिर बाहर निकलने की सोचते हैं ।

संपादकीय भूमिका

  • भारत से विदेश में नौकरी के लिए जानेवाले वहां जाकर क्या करते हैं ? क्या उनके साथ धोखा किया जा रहा है ? उनकी अन्य समस्याएं क्या हैं ?, इसकी जानकारी भारतीय दूतावास स्वयं क्यों नहीं लेता ?
  • भारत से विदेश में नौकरी देनेवाले दलालों की जानकारी भारतीय अन्वेषण तंत्र नहीं रखता है क्या ? ऐसे दलाल लोगों के साथ धोखा तो नहीं कर हैं ?, इसकी ओर ध्यान देनेवाली व्यवस्था क्या भारत के पास नहीं है ?