‘सीएए’ पर चिंता व्यक्त करनेवाले अमेरिका और यूरोपीय देशों को विदेशमंत्री डाॅ.एस. जयशंकर ने सुनाया !
नई देहली – विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (‘सीएए’) के विषय में अमेरिका और यूरोपीय देशों के विधान पर प्रत्युत्तर दिया है । ‘ऐसा विधेयक लानेवाला भारत पहला देश नहीं ।
विश्व में ऐसे कानून के अनेक उदाहरण हैं । टिप्पणी करनेवाले देशों को उनके देश में लागू होने वाले नियमों की ओर ध्यान देना चाहिए’, ऐसे शब्दों में उन्हें सुनाया । वे यहां एक न्यूज़चैनल द्वारा आयोजित किए कार्यक्रम में बोल रहे थे ।
भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सिटी द्वारा ‘सीएए’ पर की टिप्पणी पर अमेरिका के राजदूत ने नागरिकता संशोधन कानून के विषय में चिंता व्यक्त की थी और कहा था कि, अमेरिका इस पर ध्यान रखे हुए है । हम चिंता में हैं ।’ इसके पहले भी विदेशमंत्री ने, ‘भारत के अंतर्गत विषय पर कोई भाष्य न करें’, ऐसा कहा था ।
External Affairs Minister Dr. S. Jaishankar criticizes US and European countries over CAA concerns
India not the first country to implement a law like CAA.
India should continue to assertively respond to self-proclaimed knowledgeable countries like the US and European nations,… pic.twitter.com/fP4O6o48ZE
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 17, 2024
मैं उनके इतिहास के आंकलन पर प्रश्नचिन्ह उपस्थित कर रहा हूं !
जयशंकर ने कहा, “मैं उनके (अमेरिका के) लोकतंत्र पर अथवा उनके तत्वों पर प्रश्न उपस्थित नहीं कर रहा । भारत का इतिहास उन्हें कहां तक आंकलन हुआ है, इस विषय में मैं प्रश्न उपस्थित कर रहा हूं । इस कानून के विषय में विश्व के कुछ भागों से आई प्रतिक्रिया सुनी, तो ऐसा लगता है कि, भारत का विभाजन कभी हुआ ही नहीं ! सीेएए कानून द्वारा जिन समस्याओं का हल किया जाने वाला है, वे कभी निर्माण ही नहीं हुईं !”
विश्व में ऐसे कानूनों के अनेक उदाहरण हैं !
विदेशमंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने आगे कहा कि, आप हमें प्रश्न पूछते होंगे, तो अन्य लोकतांत्रिक देशों ने विविध प्रसंगों में ऐसा निर्णय नहीं लिया क्या ? इसके अनेक उदाहरण मैं दे सकता हूं । यदि आप यूरोप की ओर देखते हैं, तो अनेक यूरोपीय देश विश्वयुद्ध में पीछे रह गए लोगों को नागरिकता देने के लिए जल्द गति का अवलंबन करते हैं । कुछ प्रकरणों में विश्वयुद्ध के पहले के उदाहरण हैं । विश्व में ऐसे कानूनों के अनेक उदाहरण हैं ।
संपादकीय भूमिकाविश्व को होशियारी सिखानेवाला अमेरिका और यूरोपीय देश जैसे स्वयं घोषित होशियारों को भारत ने इसी प्रकार सुना कर उन्हें उनका स्थान दिखाते रहना चाहिए ! |