Illegal Orphanage Human Trafficking : बेंगलुरु (कर्नाटक) में मुसलमानों द्वारा संचालित अनाथालय में मिलीं २० लडकियां !

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने डाला छापा !

  • खाडी देशों में विवाह के लिए लडकियों की तस्करी का संदेह !

  • छापेमारी के उपरांत मस्जिद से मुसलमानों को एकत्रित होन के लिए किए गए भ्रमणभाष  !

बेंगलुरु (कर्नाटक) – राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रियंक कानूनगो ने यहां एक अनाधिकृत अनाथालय में छापा मारा । वहां उन्हें २० लडकियां मिलीं। खाडी देशों में विवाह के लिए इनकी तस्करी किए जाने का संदेह है। इस संबंध में श्री कानूनगो ने इस छापेमारी का लघु चलचित्र  ‘एक्स’ पर प्रसारित किया है।

श्री कानूनगो ने कहा कि लडकियों ने बताय कि, अनाथालय की देखरेख करने वाली सलमा नाम की महिला ने कुवैत में लडकियों का विवाह कराया है। जब लडकियों को आयोग के समक्ष प्रस्तुत होने के लिए कहा गया, तब सलमा और उसका हस्तक समीर गुंडों को बुला लाए । इन गुंडों ने झगडा करने का प्रयत्न किया । जब पुलिस ने गुंडों को नियंत्रित करने के लिए हस्तक्षेप किया, तो उनमें से एक ने भ्रमणभाष पर किसी से भीड को मस्जिद से एकत्रित करने के लिए कहा। पुलिस के निर्देश पर और अपनी महिला अधिकारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हम पुलिस थाने चले गए। कर्नाटक सरकार अपराधियों का तुष्टीकरण करने के लिए शरणागत हो रही है। इस अनाथालय में अनाथ बच्चों सहित २० लडकियां थीं। इन लडकियों को विद्यालय नहीं भेजा जाता। पूरे अनाथालय में कोई खिडकी या प्राकृतिक प्रकाश की व्यवस्था नहीं है। लडकियों को पूर्णरूपेण बंदी बनाकर रखा जाता है। कुछ लडकियां यहां आने से पूर्व विद्यालय जाती रही थीं; किन्तु उनकी शिक्षा बंद कर दी गई है।

गत वर्ष भी बेंगलुरु के एक अनाथालय में छापेमारी के उपरांत आयोग के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट  किया गया था !

विशेष रूप से २३ नवंबर २०२३ को कर्नाटक सरकार ने प्रियंक कानूनगो के विरुद्ध बंदी आदेश जारी किया। बेंगलुरु के एक अनाथालय का निरीक्षण करते समय प्रियंक कानूनगो ने वहां बच्चों की जो स्थिति  देखी और उसकी तुलना तालिबान के अंतर्गत नारकीय जीवन से की। इससे संतप्त होकर कर्नाटक सरकार ने प्रतिवेदन  के आधार पर यह कदम उठाया था।

संपादकीय भूमिका

कांग्रेस के राज्य में इससे अलग क्या होगा? राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को जो जानकारी प्राप्त होती  है, वह राज्य पुलिस को क्यों नहीं प्राप्त होती ? अथवा सूचना प्राप्त होने पर भी अनाथालय को इसलिए दुर्लक्षित किया जा रहा था क्योंकि इसे मुसलमानों द्वारा संचालित किया जा रहा था?