अध्यात्म का महत्त्व
‘संसार के अन्य सभी विषयों का ज्ञान अहंकार बढाता है, जबकि अध्यात्म एकमात्र ऐसा विषय है, जो अहंकार अल्प करने में सहायता करता है ।’
वैज्ञानिकों के शोधकार्य तथा ऋषि-मुनियों के ज्ञान में अंतर !
‘कोई ऊपरी भौतिक शोध करने हेतु वैज्ञानिकों को अनेक वर्ष शोधकार्य करना पडता है । आगे अन्य वैज्ञानिक उसमें परिवर्तन भी करते हैं । इसके विपरीत, ऋषि-मुनियों को सूक्ष्म आयाम से मिलनेवाले ज्ञान के कारण बिना शोधकार्य किए, एक क्षण में सूक्ष्मातिसूक्ष्म सभी प्रश्नों के उत्तर प्राप्त होते हैं तथा वह अंतिम सत्य होने के कारण कोई उसमें परिवर्तन नहीं कर सकता ।’
संसार की सभी भाषाओं में केवल संस्कृत में ही उच्चारण सर्वत्र एक समान होना
‘लिखते समय अक्षर का रूप महत्त्वपूर्ण होता है, उसी प्रकार उच्चारण करते समय वह महत्त्वपूर्ण होता है । संसार की सभी भाषाओं में केवल संस्कृत में ही इसे महत्त्व दिया गया है; इसलिए भारत में सर्वत्र वेदों का उच्चारण समान और प्रभावकारी है ।
यह स्थिति हिन्दुओं के लिए लज्जाजनक है !
‘मुसलमान अथवा ईसाइयों के धार्मिक उत्सवों में भीड जमा करने के लिए नाटक, फिल्म, वाद्यवृंद जैसे कार्यक्रम नहीं रखे जाते । इसके विपरीत हिन्दुओं के धार्मिक उत्सवों के समय ऐसे कार्यक्रम रखे जाते हैं । इससे यह प्रश्न उत्पन्न होता है, ‘क्या हिन्दू केवल मनोरंजन के लिए धार्मिक उत्सव मनाते हैं ?’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले