हिन्दू, जैन, सिख और बौद्ध धर्म की दी जाएगी शिक्षा !
लंदन (ब्रिटेन) – ब्रिटिश विद्यालयों में पहली बार अप्रैल से प्रारंभ होने वाले शैक्षणिक सत्र से चौथी से दसवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए भारत के विभिन्न धर्मों की शिक्षा को पाठ्यक्रम में समाहित किया जाएगा। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने इस संबंध में निर्देश दिए हैं। छात्रों को हिन्दू धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म और बौद्ध धर्म की शिक्षा दी जाएगी। ब्रिटेन में १०वीं कक्षा तक धार्मिक शिक्षा अनिवार्य है। वर्तमान समय में केवल ईसाई धर्म ही पढाया जाता है। (ध्यान दें कि ब्रिटेन एक लोकतंत्र है और एक धर्मनिरपेक्ष देश होते हुए भी वहां के विद्यालयों में ईसाई धर्म की शिक्षा दी जाती है ! यदि ब्रिटेन ऐसा कर सकता है, तो हिंदुओं को अब पूछना चाहिए, ‘भारत में अब तक हिंदुओं को धर्म की शिक्षा क्यों नहीं दी गई ?’ – संपादक ) ब्रिटेन में भारतीय परिवार और अन्य संगठन अनेक वर्षों से धार्मिक शिक्षा की मांग कर रहे थे।
१. सरकार के निर्णय से ८८ लाख श्वेत और अन्य जातीय, साथ ही भारतीय मूल के ८२ सहस्र छात्रों को भारतीय धर्मों की शिक्षा मिलेगी। इस संबंध में ब्रिटिश संसद ने निधि का आवंटन कर दिया है । जिसके माध्यम से शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। सरकार ने भारतीय धार्मिक शिक्षा के लिए पुस्तकों की मांग की है।
२. ब्रिटेन में अब तक विश्व हिन्दू परिषद यूके और वैदिक शिक्षा संघ (वॉयस) जैसे संगठन भारतीय परिवारों के बच्चों को धार्मिक शिक्षा का व्यावसायिक पाठ्यक्रम पढाते हैं।
विद्यालयों में योग, आयुर्वेद, संस्कार शिक्षा, ध्यान और वैदिक गणित भी पडाया जाना चाहिए ! – भारतीय अभिभावकों की मांग |
भारतीय धर्मों के संबंध में अज्ञानतावश भारतीय छात्रों को प्रताडित किया जाता है!
‘इनसाइट यूके’ नामक संस्था के सर्वेक्षण के अनुसार , ब्रिटिश विद्यालयों में पढने वाले प्रत्येक १० में से ५ भारतीय छात्रों को धर्म के नाम पर धमकाया जाता है। भारतीय बच्चों के साथ पढने वाले ब्रिटिश बच्चे भारतीय धर्मों के संबंध में कुछ भी नहीं जानते। उन्हें भारतीय धर्मों के संबंध में अज्ञानता है। इससे भारतीय बच्चों का उत्पीडन होता है। अब भारतीय धर्मों में शिक्षा का समावेश होने से अन्य समुदाय के बच्चों को भी भारतीय धर्मों के बारे में जानकारी मिलेगी।
संपादकीय भूमिकाब्रिटिश विद्यालयों पढाया जाएगा हिन्दू धर्म; किन्तु यह भारत में कब उपलब्ध होगा ? यहां के हिंदुओं को सरकार से प्रश्न पूछना चाहिए कि ‘भारत के हिंदुओं को अपने धर्म की शिक्षा कब मिलेगी ?’ |