अयोध्या (उत्तर प्रदेश) – १६ जनवरी से अयोध्या में श्री रामलला मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा विधि प्रारंभ हो गई है । १८ जनवरी को श्री राम मंदिर के गर्भगृह में श्री रामलला की मूर्ति स्थापित की गई थी । १९ जनवरी की सुबह अरणी मंथन किया गया । इसके बाद भगवान गणेश की पूजा की गई । सभी द्वारपालों की पूजा की गई । अरणी मंथन से प्रकट हुई अग्नि को कुंडों में स्थापित किया जा रहा है । इसके बाद ग्रहों की स्थापना, भगवान शंकर की गद्दी की स्थापना तथा अयोध्या के मुख्य देवता की स्थापना होगी । श्री राम यंत्र, योगिनी, मंडल क्षेत्रपाल, अधिकारियों की पूजा की जा रही है । कहा जा रहा है कि ’ये विधियां भावपूर्ण की जा रही हैं ।’
गर्भगृह में रखी जाएगी श्री रामलाल की पुरानी मूर्ति ! – रामभद्राचार्य
जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि यदि श्री रामलला की पुरानी मूर्ति गर्भगृह में न रखी होती तो गलत होता; लेकिन गर्भगृह में पुरानी मूर्ति भी रहेगी. लोगों को अच्छे से दर्शन मिल सके इसके लिए नई मूर्ति स्थापित की गई है । दूसरी मूर्ति कोई समस्या नहीं है ।
श्रीराम मंदिर भक्तों के लिए अस्थायी रूप से बंद
१९ जनवरी को शाम ७ बजे से अस्थायी रूप से श्री राम जन्मभूमि पर श्री राम मंदिर में दर्शन की अनुमति नहीं होगी । यह निर्णय प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के प्रादुर्भाव के कारण लिया गया है।
श्री राममूर्ति के बगल में दशावतारों के चित्र !
श्री राममूर्ति के बगल वाले अर्धवृत्ताकार भाग पर दशावतारों के चित्र उकेरे गए हैं । इसके अतिरिक्त शीर्ष पर सूर्य देव, ॐ, स्वस्तिक, सुदर्शन चक्र तथा गदा की छवि उकेरी गई है । इस ओर के निचले भाग पर एक गरूड़ बनाया है । यह मूर्ति कमल पर खड़ी है।