Anti-Hindu Statements : (और इनकी सुनिए…) ‘मंदिर में आस्था यह मानसिक दासत्व है !’ – प्रा. चन्द्रशेखर, बिहार के शिक्षा मंत्री

बिहार के हिन्दू विरोधी शिक्षा मंत्री प्रा. चन्द्रशेखर का अनर्गल  विवेचन !

प्रा. चन्द्रशेखर

पाटलिपुत्र (बिहार) – आज हमें हिंदुत्व से सावधान रहने की आवश्यकता है, राष्ट्रीय जनता दल के विधायक और बिहार के शिक्षा मंत्री प्रा. चन्द्रशेखर ने ऐसा वक्तव्य एक कार्यक्रम में किया। प्रा. चन्द्रशेखर ने अपने ही दल के विधायक फतेह बहादुर सिंह के निंदनीय वक्तव्य का समर्थन करते हुए कहा कि, ‘अयोध्या में राम का मंदिर बन रहा है,  इस मंदिर से केवल पाखण्डी एवं मनुवादी समाज का ही विकास हो सकता है। चन्द्रशेखर ने यह भी धमकी दी कि ‘जो लोग फतेह बहादुर की जीभ और गर्दन की छाटने की बात करते हैं उन्हें स्मरण रहे कि अब वे एकलव्य की तरह बलिदान नहीं करेंगे , बल्कि बलि देंगे ।’ (क्या लोकतंत्र के तथाकथित रक्षकों को यह स्वीकार्य है कि एक शिक्षा मंत्री ऐसी धमकी दे? – संपादक)

(सौजन्य : India Today) 

(और इनकी सुनिए…) ‘मंदिरों में केवल शोषण होता है !’

मंत्री चंद्रशेखर ने आगे कहा कि यदि आपको चोट लगेगी तो आप मंदिर जाएंगे या अस्पताल? इसी प्रकार, यदि हमें ज्ञान प्राप्त करना है, शिक्षा प्राप्त करनी है और एक बड़ा अधिकारी बनना है तो हमें विद्यालय जाना ही होगा। उसके लिए मंदिर जाने से काम नहीं चलेगा। वास्तव में मंदिरों में शोषण होता है। राम आपमें, मुझमें और प्रत्येक व्यक्ति में हैं, तो हम उनका शोध करने कहां जाएं? (जिसके अंतर में राम हैं वह ऐसी घृणा कभी नहीं कर पायेगा । जिसके अंतर में रावण की भावना है वह मंदिरों के संबंध में ऐसे निंद्य वक्तव्य देगा, लोग यही विचार करेंगे ! – संपादक) जिन स्थानों को भगवान का स्थान कहा जाता है, वहां केवल शोषण होता है। इन स्थानों के माध्यम से कुछ समाजों के कुछ विशेष लोग षड्यंत्र  रचते हैं और अपनी जेबें भरते हैं। (विश्व भर के अनेक गिरिजा घरों में पादरियों द्वारा बच्चों, महिलाओं आदि के यौन शोषण के सहस्त्रों प्रकरण उजागर हुए हैं। मदरसों में भी यौन शोषण किया जा रहा है,यह भी उजागर हुआ है । ध्यान दें कि चन्द्रशेखर इस संबंध में  एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं करते ! – संपादक )

संपादकीय भूमिका 

  • ‘मदरसों का मार्ग किस प्रकार का है’ इस संबंध में प्रा. चन्द्रशेखर क्या अपना मुंह खोलेंगे ?
  • चंद्रशेखर जैसे व्यक्ति  हिन्दू धर्म से द्वेषवश ऐसे वक्तव्य दे रहे हैं , तब भी इनके विरुद्ध आरोप प्रविष्ट  होने की संभावना नहीं है। हिन्दू चूंकि सहिष्णु हैं, वे ऐसे वक्तव्यों का केवल वैध पद्धति से ही विरोध करते हैं, जबकि अन्य धर्मावलंमी उनके धर्म के संबंध में इस प्रकार की निंदनीय बात करने वालों का ‘सर तन से जुदा’ (शिरोच्छेद ) कर देते हैं !