कार्बन उत्सर्जन के विषय में यूरोपीयन सांसद के वरिष्ठ सदस्य पीटर लिसे द्वारा स्पष्टोक्ति
बर्लीन – यूरोपीयन सांसद के वरिष्ठ सदस्य पीटर लिसे ने कहा है, ‘विश्व के समाने कार्बन उत्सर्जन अल्प करने की बडी चुनौती है । भारत, अमेरिका एवं चीन जैसे देश जलवायु परिवर्तन तथा पर्यावरण को बचाने की लडाई में अनेक बार एकत्रित होकर काम करते दिखाई देते हैं । ऐसा होने पर भी, कार्बन उत्सर्जन के विषय में भारत को चीन एवं अमेरिका जैसे देशों की श्रेणी में रखना अस्वीकार्य है ।’ संयुक्त अरब अमिरात द्वारा दुबई में ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता’ का आयोजन किया गया था, उस समय वे ऐसा बोल रहे थे ।
पीटर लिसे ने कहा कि,
१. भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन ‘अत्यंत अल्प’ है । इस कारण प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन अधिक वाले अमेरिका एवं चीन जैसे देशों की सूची में भारत को समाहित नहीं किया जा सकता ।
२. विकसित देशों की जलवायु एवं पर्यावरणीय परिस्थिति भारत से बहुत ही भिन्न है । यूरोप के बहुत से लोग चीन एवं भारत को एक ही तराजू में तौलते हैं । खाडी देशों को भी यह पूर्णतः अस्वीकार्य है ।
३. इस सप्ताह के आरंभ में वैज्ञानिकों के एक वैश्विक दल द्वारा विवरण (रिपोर्ट) प्रकाशित किया था । इसके अनुसार भारत का प्रति व्यक्ति २ टन कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन है जो वैश्विक औसत के आधे से भी अल्प है ।
४. वैज्ञानिकों ने कहा, ‘प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन में अमेरिका प्रथम क्रमांक पर है । उसके उपरांत जापान, चीन एवं यूरोपीयन युनियन के देश आते हैं ।’