Action Against Halal products in Uttar Pradesh : उत्तर प्रदेश में हलाल उत्पादों के विरुद्ध कार्रवाई !

  • राज्य में हलाल प्रमाणीकरण पर प्रतिबंध लगाने पर विचार!

  • आरोप है कि हलाल प्रमाणीकरण के माध्यम से प्राप्त धन का उपयोग आतंकवादी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है !

लक्ष्मणपुरी (उत्तर प्रदेश) – उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस प्रकार से अनाधिकार खाद्य , सौंदर्य प्रसाधन आदि वस्तुओऺ के लिए हलाल प्रमाणपत्र देने वाली इस्लामी संस्थाओऺ द्वारा व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से धन ऐऺठने के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश दिया है। इसके फलस्वरूप  लक्ष्मणपुरी पुलिस ने हलाल प्रमाण पत्र देनेवाले इस्लामिक संगठनों के विरुद्ध अपराधिक प्रकरण प्रविष्ट किये हैं। उनके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा १२० (बी), १५३ ए, २९८ ,३८४ , ४२० , ४६७ , ४६९ , ४७१ एवं ५०५ के अंतर्गत प्रकरण प्रविष्ट किए गए हैं । उत्तर प्रदेश सरकार हलाल प्रमाणीकरण पर प्रतिबंध भी लगाने पर विचार कर रही है। हलाल प्रमाणीकरण के माध्यम से संचित धन आतंकी संगठन देश विरोधी गतिविधियों के लिए उपयोग में लाते हैं, ऐसे आरोप लगाए जाने के उपरांत स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

 (सौजन्य : Zee News)

किन संगठनों के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट ?

लक्ष्मणपुरी पुलिस द्वारा प्रकाशित विवरण के अनुसार इस अपराधिक प्रकरण में , ‘हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड चेन्नई’, ‘जमीयत उलेमा हिंद हलाल ट्रस्ट दिल्ली’, ‘हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया मुंबई’, ‘जमीयत उलेमा महाराष्ट्र, मुंबई’ आदि हलाल प्रमाणपत्र प्रदान करने में सम्मिलित हैं। धर्म के नाम पर उपभोक्ता उत्पादों पर, इन संगठनों के पास प्रमाणन देने का कोई अधिकार नहीं है। उनके द्वारा केवल आर्थिक लाभ के लिए ऐसे प्रमाण पत्र बांटे जा रहे हैं। यह कृत्य न केवल सामाजिक घृणा को बढावा दे रहा है, बल्कि लोगों के विश्वास के साथ खिलवाड का भी हिस्सा है।”

हलाल प्रमाणन न करने वाले प्रतिष्ठानों के उत्पादों की बिक्री कम करने का प्रयास !

आरोपकर्ता शैलेन्द्र शर्मा ने सूचित किया कि जिन प्रतिष्ठानों ने इन संस्थाओं से हलाल प्रमाण पत्र नहीं लिया है, उनके उत्पादों की बिक्री कम करने का प्रयास किया जा रहा है। यह भी एक प्रकार का अपराध है। ऐसी आशंका है कि हलाल प्रमाणन के नाम पर असामाजिक और राष्ट्रविरोधी घटनाओं को लाभ पहुंचाया जा रहा है। विशेषकर शाकाहारी भोजन, उदा. साबुन, तेल, टूथपेस्ट, शहद आदि के लिए हलाल प्रमाणन की आवश्यकता नहीं है, तब भी यह दिया जा रहा है। इससे पता चलता है कि एक धर्म के विरुद्ध रचा गया षड्यंत्र है। धर्म के नाम पर एक वर्ग विशेष में अवास्तविक प्रचार किया जा रहा है। यह प्रचारित किया जा रहा है कि ‘जिन प्रतिष्ठानों ने हलाल प्रमाणपत्र नहीं लिया है, उनके उत्पादों का उपयोग उन्हें नहीं करना चाहिए।’ इससे दूसरे धर्मों को व्यापारिक हानि हो रही है। इसके अतिरिक्त  सामान्य जनता के उपभोग की वस्तुओं पर हलाल प्रमाणीकरण देकर आर्थिक लाभ प्राप्त किया जा रहा है। इतना ही नहीं, यह समाज में घृणा और विभाजन निर्माण कर देश को अशक्त करने का एक सुनियोजित षड्यंत्र है। इसमें प्रमाणकर्ता और किसी विशेष धार्मिक प्रतिष्ठान के स्वामी लिप्त हैं।

हलाल प्रमाणीकरण क्या है?

मुसलमानों में ‘हलाल’ (इस्लाम के अनुसार उचित) उत्पाद स्वीकार्य माने जाते हैं। इसमें भोजन के साथ-साथ अन्य उत्पाद भी सम्मिलित हैं। इन उत्पादों में वह नहीं है जो मुसलमानों के लिए ‘हराम’ है, यानी इस्लाम के अनुसार अनुचित है। ऐसे उत्पादों को मुस्लिम संगठनों द्वारा ‘हलाल प्रमाणित’ के रूप में प्रमाणित किया जाता है। इसके बदले में सहस्त्रों रुपये ऐऺठे जाते हैं । ऐसे हलाल प्रमाणित उत्पाद इस्लामिक देशों में निर्यात किये जाते हैं, साथ ही भारत में भी वितरित किये जाते हैं।

संपादकीय भूमिका 

हिन्दू जनजागृति समिति गत अनेक वर्षों से इस संबंध में समाज में जागरूकता निर्माण कर रही है, और प्रशासनिक स्तर पर इस प्रमाणपत्र पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी कर रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने आज यह कदम उठाया, इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अनन्य अभिनंदन ! हिन्दू विचार करते हैं कि केंद्र सरकार और देश के अन्य राज्यों को भी उनका अनुकरण करने का सार्थक प्रयास करना चाहिए !