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ढाका (बांग्लादेश) – कनाडा हत्यारों का गढ है ! कनाडा अपराधियों को शरण देता है । कनाडा उनके लिए कवच की तरह है । बांग्लादेश के विदेश मंत्री ए.के. मोमन ने गंभीर आरोप लगाया है कि हत्यारे वहां जाते हैं तथा निर्भय होकर आराम से रहते हैं ।
एक अंग्रेजी भारतीय न्यूज चैनल से बात करते हुए अब्दुल मोमेन ने आगे कहा,
१. बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान का हत्यारा नूर चौधरी जब कनाडा गया तो कनाडा ने उसे हमें प्रत्यार्पित करने से अस्वीकार कर दिया । कनाडा बेतुके कारण बताकर चौधरी के प्रत्यर्पण को टाल रहा है ।
२. हमने वहां की सरकार की इस वृत्ति के पीछे के मूल कारण जानने के लिए कनाडाई न्यायालय में एक याचिका भी प्रविष्ट की । हमने यह जानने का भी प्रयत्न किया कि क्या उसे कनाडा की नागरिकता दी गई है । न्यायालय ने इस संबंध में निर्णय भी दिया; किंतु वहां की सरकार चौधरी के संबंध में कुछ नहीं कह रही है, न ही उसे बांग्लादेश को सौंप रही है ।
३. ‘मानवाधिकार’ की आड में कनाडा आतंकवादियों एवं हत्यारों को बचाने का प्रयत्न कर रहा है । इसके माध्यम से कनाडा मानवाधिकार का अनुचित उपयोग कर रहा है ।
४. कनाडाई सरकार के पास एक कानून है जो कहता है कि कनाडा अपने देश से किसी ऐसे व्यक्ति का प्रत्यर्पण नहीं कर सकता है, ‘जिसे उसके मूल देश में वाापस भेजे जाने के उपरांत उसे मृत्यु दंड दिया जा सकता है ।’ कनाडा में ऐसा कानून होगा; किंतु उसकी भूमि हत्यारों के लिए सुरक्षा कवच नहीं बननी चाहिए ।
५. शेख मुजीबुर रहमान का एक अन्य हत्यारा राशिद चौधरी अमेरिका में रह रहा है । हमें अपेक्षा है कि अमेरिका उसका प्रत्यर्पण करेगा । अमेरिका ने इससे पूर्व एक हत्यारे का प्रत्यर्पण किया था ।
कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत पर अपने नागरिक खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाने के उपरांत श्रीलंका ने भी कनाडा के विरुद्ध वक्तव्य दिए थे । कुछ दिन पूर्व श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने आरोप लगाया था कि कनाडा आतंकवादियों को सुरक्षित आश्रय देता है । उन्होंने यह भी कहा कि ट्रूडो बिना किसी साक्ष्य के भारत पर आरोप लगा रहे हैं ।
संपादकीय भूमिकाकथित मानवतावाद के नाम पर यदि कनाडा इस प्रकार आतंकवादियों एवं हत्यारों को संरक्षण प्रदान कर रहा है, तो संबंधित देशों को एकजुट होकर उसके विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र एवं अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के माध्यम से कार्यवाही करनी चाहिए ! |