जिस प्रकार कोई नेत्रहीन व्यक्ति कहे कि दिखनेवाली दुनिया कुछ होती ही नहीं है, उसी प्रकार बुद्धिप्रमाणवादी कहते हैं, ‘सूक्ष्म जगत, भूत आदि कुछ नहीं होता; क्योंकि उनमें सूक्ष्म संबंधी जानने की इच्छा ही नहीं होती तथा उनमें सूक्ष्म जगत अनुभव करने के लिए आवश्यक साधना करने की क्षमता भी नहीं होती !’
भारत में अपराध की प्रविष्टि अल्प संख्या में होने के कारण
‘अधिकांश लोग पुलिस थाने में शिकायत लिखवाने नहीं जाते; क्योंकि उन्हें ज्ञात होता है कि वहां समय व्यर्थ होगा । कभी-कभी पुलिसकर्मियों की उद्दंडता के कारण अपमान सहना पडेगा और अंत में हाथ कुछ नहीं आएगा ।’
भ्रष्टाचार न रोक पाने का एकमात्र कारण है, सरकार की इच्छा का अभाव !
‘एक भी क्षेत्र ऐसा नहीं, जहां भ्रष्टाचार नहीं है। फ्लैट खरीदना है तो नकद (काला धन) और धनादेश (चेक) से राशि देनी पडती है । फ्लैट बेचनेवालों के पास झूठे ग्राहक के रूप में सरकार किसी को क्यों नहीं भेजती ? फ्लैट बेचनेवाले ५-१० लोगों का भ्रष्टाचार सामने आए व उन्हें तत्काल कठोर दंड मिले, तो सभी फ्लैट बेचनेवाले काले धन का व्यवहार तत्काल रोक देंगे । इसी प्रकार से सभी क्षेत्रों में और सरकारी कार्यालयों में हो रहा भ्रष्टाचार रोका जा सकता है ।’
पुलिसकर्मी यह ध्यान रखें !
‘पुलिस को ऐसा लगना चाहिए कि जनता पुत्रवत है, तभी उनकी नौकरी उचित पद्धति से होगी !’
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले