विगत ७५ वर्षों में हिन्दुओं को धर्मशिक्षा से वंचित रखा गया । केवल संत, महात्माओं की कृपा से भारत में आज भी धर्म टिका हुआ है । ‘सेक्युलरिजम’ शब्द के कारण हिन्दुओं को धर्मशिक्षा प्रदान करने का मार्ग बंद किया गया है । धर्मनिरपेक्ष व्यवस्था अर्थात अधर्मी व्यवस्था है । वर्ष १९१९ में ‘प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट’ द्वारा अयोध्या का श्रीराम मंदिर छोडकर अन्य सभी मंदिर वर्ष १९४७ से जिस स्थिति में हैं, उसी स्थिति में रखने के लिए मान्यता दी गई । इसलिए काशी के विश्वनाथ मंदिर के साथ ही सहस्रों मंदिर मुक्त करने में अडचनें निर्माण हुई हैं । इसलिए भारत को पुनः हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए आंदोलन, संसद एवं न्यायव्यवस्था, इन लोकतांत्रिक मार्गों द्वारा आवाज उठाना आवश्यक है । हिन्दूबहुल व्यवस्था रहते हुए भी संविधान द्वारा भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र’ घोषित करना आवश्यक है ।