अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच १३० वर्षों पूर्व की ‘डुरंड लाइन’ नाम की सीमा रेखा स्वीकारने से अफगानिस्तान ने मना किया !

काबुल (अफगानिस्तान) – पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच की सीमा यह केवल काल्पनिक रेखा है । अफगानिस्तान के नागरिक कहेंगे तब यह सूत्र रखा जाएगा । अभी हमें कोई युद्ध नहीं चाहिए, ऐसा विधान तालिबान के रक्षामंत्री और तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के लडके मौलवी (इस्लाम का धार्मिक नेता) याकुब मुजाहिद ने किया है । पिछले १३० वर्षों पूर्व के पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच ब्रिटिशों ने ‘डुरंड लाइन’ नाम से सीमा रेखा तय की थी , जिसे स्वीकारने से तालिबान ने मना कर दिया है । वर्ष २०२१ में तालिबान के सैनिकों ने पाकिस्तान सेना को इस सीमा पर कटीली बाड लगाने से रोका था । पाकिस्तान के पश्तून क्षेत्र पर तालिबान का वर्चस्व है ।

इस विषय में पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार इलियास खान ने कहा कि ‘डुरंड लाइन’ के प्रश्न पर तालिबान पीछे हटने की स्थिति में नहीं है । इस कारण तालिबान की बात पर बहुत विश्वास नहीं किया जा सकता । पहले रशिया और इसके उपरांत अमेरिका जैसी महाशक्तियों को पराभूत करने वाला तालिबान पाकिस्तान के विरुद्ध उसकी शक्ति का प्रयोग करने में आगे पीछे नहीं देखेगा ।