गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) – स्थित गीता प्रेस को १०० वर्ष पूर्ण हो चुके हैं । गीता प्रेस द्वारा हिन्दुओं के धर्मग्रंथों का प्रकाशन किया जाता है । इस योगदान के लिए केंद्र सरकार ने गीताप्रेस को ‘गांधी शांति पुरस्कार’ देकर सम्मानित किया । इस संबंध में वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में गीता प्रेस के अभिनंदन का प्रस्ताव एकमत से पारित किया गया ।
कांग्रेस ने गीता प्रेस को यह पुरस्कार देने का विरोध किया है । ‘गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना अर्थात सावरकर एवं गोडसे को पुरस्कार देने के समान है’, ऐसा हिन्दूद्वेषी वक्तव्य कांग्रेस के नेताओं ने किया है । इस संबंध में वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव में कांग्रेस के निषेध का प्रस्ताव पारित किया गया । हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने इन दोनों प्रस्तावों का वाचन किया । इस संबंध में सद्गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने कहा, ‘‘इस प्रकार कांग्रेस ने वीर सावरकरजी की अपकीर्ति करने का भी प्रयत्न किया है । कांग्रेस गांधी पर स्वयं का एकाधिकार दिखाने का प्रयत्न कर रही है । भारत स्वतंत्र होने के उपरांत गांधी ने कांग्रेस को विसर्जित करने का परामर्श दिया था; परंतु कांग्रेस ने उनके इस परामर्श की अवहेलना की । कांग्रेस द्वारा भारत में हिन्दू विरोधी वक्तव्य किया जाता है तथा भारत के बाहर देशविरोधी वक्तव्य किया जाता है । ऐसी कांग्रेस का वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव निषेध करता है ।’’