सरकार ने ‘अल्पसंख्यक’ संज्ञा को परिभाषित किया, तो सभी समस्याएं समाप्त होंगी ! – मेजर सरस त्रिपाठी, लेखक तथा प्रकाशक, प्रज्ञा मठ पब्लिकेशन

मेजर सरस त्रिपाठी

रामनाथ देवस्थान – धर्मांधों को खुरासान से लेकर अराकानतक (पूर्व से लेकर पश्चिमतक) इस्लाम का ध्वज फहराना है । वे ब्रुनईतक (ब्रुनई इंडोनेशिया के निकट का एक क्षेत्र है, जहां पूर्व में इस्लामी साम्राज्य था ।) तक पहुंच गए हैं, अब उन्हें केवल भारत जीतना है । उसके कारण भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना उनकी नीति (एजेंडा) हहै तथा भारत में तो हमें सर्वधर्मसमभाव सिखाया जा रहा है । अतः हिन्दू के रूप में बने रहना हो, तो हमें सभी स्तरों पर लडाई लडने की आवश्यकता है, ऐसा मेजर सरस त्रिपाठी ने प्रतिपादित किया । वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव के तीसरे दिन (१८.६.२०२३ को) उपस्थित हिन्दुत्वनिष्ठों को संबोधित करते हुए वे ऐसा बोल रहे थे ।

मेजर सरस त्रिपाठी ने आगे कहा, ‘‘तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार ने भारत के मूल संविधान के साथ छेडछाड कर उसमें १० मूलभूत अधिकार (फंडामेंटल राईट्स) अंतर्भूत किए । संविधान में इन अधिकारों पर ही संपूर्ण बल दिया गया है । तब से लेकर प्रत्येक व्यक्ति अपने अधिकारों के लिए लड रहा है । ये अधिकार ही सभी समस्याओं का मूल है । अतः जबतक ये मूलभूत अधिकार बने रहेंगे, तबतक देश में अत्याचार एवं अनाचार चलते ही रहेंगे । इसके साथ ही संविधान में अल्पसंख्यकों का महत्त्व बढाकर हिन्दुओं के साथ भेदभाव किया गया है । सरकार ने ‘अल्पसंख्यक’ इस संज्ञा को परिभाषित किया, तो उससे ये सभी समस्याएं नष्ट होंगी । यह संविधान समाज का विभाजन करनेवाला है; इसलिए हिन्दू धर्म को टिकाए रखने के लिए हिन्दू राष्ट्र आवश्यक है ।’’