वर्ष २०३० तक आर्कटिक महासागर की संपूर्ण बर्फ नष्ट हो जाएगी !

वैश्विक जलवायु, मानव एवं पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर परिणाम होंगे !

लंदन (ब्रिटेन) – आर्कटिक महासागर की बर्फ अपेक्षा से अधिक तीव्रता से पिघल रही है । नेचर कम्युनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, २०३० की गर्मियों तक आर्कटिक महासागर की संपूर्ण बर्फ पिघल जाएगी, जिसका अर्थ है कि तब तक बर्फ पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी । अध्ययन में वर्ष १९७९ से वर्ष २०१९ तक के ४० वर्षों के आंकडे , उपग्रह चित्र तथा ऋतुओंॱके आंकडों का विश्लेषण किया गया, पाया गया कि आर्कटिक की बर्फ अपेक्षा से अधिक तीव्रता से पिघल रही है । ऐसा माना जाता है कि ‘आर्कटिक की बर्फ पृथ्वी की प्रतिरोधक क्षमता है’। इसलिए जब वहां की बर्फ नष्ट हो जाएगी, तब संपूर्ण प्राकृतिक व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो जाएगी

१. २०२१ में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के एक अध्ययन में कहा गया था कि आर्कटिक का तापमान विश्व के उर्वरित हिस्सों की तुलना में चार गुना तीव्रता से बढ रहा है । पिछले ४० वर्षों में, गर्मियों के उपरांत बनी रहने वाली बहुस्तरीय बर्फ ७० मिलियन वर्ग किमी से घटकर ४० मिलियन वर्ग किमी हो गई है । यह क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल के बराबर है ।

२. हैम्बर्ग विश्वविद्यालय के ‘समुद्र विज्ञान संस्थान’ के प्रो. डर्क नॉट्ज़ ने कहा, “बर्फबारी प्रति दशक १२.६ प्रतिशत की दर से घट रही है । यदि पृथ्वी की प्रतिरोधक क्षमता को सशक्त करने वाला आर्कटिक बर्फ का आवरण (आर्कटिक आइस कवर ) नष्ट हो जाता है, तो पूरे विश्व में तीन स्तरों पर इसका गंभीर प्रभाव पडेगा: जलवायु, मानव एवं पारिस्थितिक तंत्र ।”

आर्कटिक की बर्फ नष्ट होने का परिणाम !

  • समुद्र का स्तर बढेगा: वैश्विक समुद्र का स्तर प्रति वर्ष ४.५ मिली मीटर की दर से बढ रहा है । जैसे-जैसे आर्कटिक की बर्फ पिघलेगी, यह और भी गति से बढेगा !
  • समुद्री प्रवाह एवं वर्षा ऋतु होंगे प्रभावित !
  • उष्ण लहरों, जंगल में लगने वाली आग तथा बाढ जैसी चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि होगी !

आर्कटिक की बर्फ समाप्त होने से धरती का तापमान क्यों बढेगा ?

आर्कटिक पर पडने वाली अधिकांश सूर्य किरणें बर्फ से परावर्तित होकर आकाश में वापस आ जाती हैं । यदि बर्फ नहीं होगी तो यह प्रक्रिया होगी ही नहीं, इससे स्वाभाविक रूप से धरती का तापमान बढेगा ।

दक्षिण पूर्व एशिया में २०० वर्षों  में सबसे अधिक उष्णता !

दक्षिण पूर्व एशिया के अनेक भाग २०० वर्षों में सबसे भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं । वियतनाम की राजधानी हनोई में मई का औसत तापमान ३२ डिग्री सेल्सियस रहता है; किंतु वर्तमान में यह ४० डिग्री के पार पहुंच गया है । वहां का तापमान ४६.४ डिग्री सेल्सियस पंजीकृत किया गया है । कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह में ४२.१ डिग्री सेल्सियस, थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में ४३.७ डिग्री, जबकि मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में ४० डिग्री सेल्सियस लेख्यांकित किया गया ।

संपादकीय भूमिका 

अध्यात्म विहीन विज्ञान को उच्च कहने वालों का अब क्या कहना है ?