पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों पर अधिक परिणाम !
वॉशिंग्टन (अमेरिका) – यहां के ‘सेपियन लॅब्ज’ संस्था ने एक महत्त्वपूर्ण शोध किया है तथा इससे यह बात सामने आई है कि छोटी आयु के बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर तंत्रज्ञान किस प्रकार दुष्परिणाम करता है ?’ यदि छोटी आयु में बच्चों के हाथ में ‘स्मार्टफोन’ दिया, तो बडे होने पर उन्हें गंभीर मानसिक रोग लग सकते हैं । इसमें भी पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका अधिक परिणाम होता है, इस शोध से यह निष्कर्ष सामने आया है ।
१. शोध के अनुसार यह ध्यान में आया कि जितने विलंब से बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन आया, उनमें आत्मविश्वास एवं अन्य लोगों से सकारात्मक संबंध रखने की क्षमता उतनी ही अधिक पाई गई तथा जिन लडकियों को विलंब से स्मार्टफोन मिला, उनके दृष्टिकोण में अनुकूलता तथा लचीलापन अधिक होने की बात ध्यान में आई ।
२. यदि बच्चों को अत्यधिक छोटी आयु में स्मार्टफोन हाथ में मिला, तो उनमें आत्महत्या के विचार, अन्यों के प्रति आक्रामक भावना, वास्तविकता से दूर रहना, आदि मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित अनेक समस्याएं दिखाई दीं ।
३. ‘एज ऑफ फर्स्ट स्मार्टफोन एंड मेंटल वेलबीइंग आऊटकम्स’ (स्मार्टफोन का प्रथम प्रयोग करते समय की आयु तथा मानसिक स्वास्थ्य पर उसका होनेवाला परिणाम) नाम से १४ मई को यह शोध प्रकाशित किया गया ।
४. जनवरी से अप्रैल २०२३ की कालावधि में १८ से २४ वर्ष आयु के २७ सहस्त्र ९६९ बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन किया गया । उत्तर अमेरिका, युरोप, लैटिन अमेरिका, दक्षिण एशिया तथा अफ्रिका के ४१ देशों में यह सर्वेक्षण किया गया । भारत के ४ सहस्त्र युवकों को इस शोध में सम्मिलित किया गया था ।
शोध के निष्कर्ष दर्शानेवाली सारणी
स्मार्टफोन का प्रयोग आरंभ करने की आयु (वर्ष ) | लडके / लडकीया | मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओंका प्रमाण (प्रतिशत) |
६ वर्ष | लडके | ४२ |
लडकीया | ७४ | |
१२ वर्ष | लडके | ३६ |
लडकीया | ४६ |
भारत समान युवा देश के लिए अत्यंत चिंता का विषय !‘सेपियन लैब्ज’ के संचालक शैलेंदर स्वामीनाथन ने इस शोध के संदर्भ में कहा कि तंत्रज्ञान का आधिक्य छोटे बच्चे तथा युवकों के मानसिक स्वास्थ्य पर कितना परिणाम करता है ?, इस शोध से यह दिखाई देता है । भारत समान देश के लिए यह शोध अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । भारत में १५ से २५ आयु समूह के बच्चों की संख्या अनुमानत: २० करोड है । इस अनुषंग से इस शोध के निष्कर्ष पाठशाला, अभिभावक तथा अन्यों के लिए दिशादर्शक सिद्ध होंगे । यद्यपि इस शोध में भारत से केवल ४ सहस्त्र बच्चे सम्मिलित हैं, तब भी यह प्रमाण चिंता का विषय है । भारत में १० से १४ आयु के पूरे ८३ प्रतिशत बच्चों के हाथ में स्मार्टफोन है । अंतरराष्ट्रीय प्रमाण की अपेक्षा यह संख्या ७६ प्रतिशत से अधिक है । |
संपादकीय भूमिकाआवश्यकता से अधिक अध्यात्मविहीन तंत्रज्ञान के प्रयोग का परिणाम ! |