तीन राज्यों द्वारा समलिंगी विवाह का विरोध ! – सर्वाेच्च न्यायालय में केंद्र सरकार द्वारा जानकारी

समलिंगी विवाह

नई देहली – केंद्र सरकार ने १० मई को सर्वाेच्च न्यायालय में यह जानकारी दी कि राजस्थान, आंध्र प्रदेश एवं असम इन तीन राज्यों ने समलिंगी विवाह का विरोध किया है । मुख्य न्यायाधीश धनंजय चंद्रचूड, न्या. संजय किशन कौल, न्या. एस. आर.भट, न्या. हिमा कोहली तथा न्या. पी. एस. नरसिंह के घटनापीठ के समक्ष इस अभियोग की सुनवाई की जा रही है ।

सॉलिसिटर जेनरल तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष प्रस्तुत करते हुए कहा कि मणिपुर, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं सिक्किम इन तीन राज्यों ने कहा है कि इस सूत्र पर विस्तृत चर्चा आवश्यक होने से तत्काल उत्तर देना संभव नहीं है । सुनवाई के समय न्यायालय ने कहा कि भारतीय कानून के अनुसार किसी एक व्यक्ति को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार है । आदर्श कुटुंब में अपने स्वयं के जैविक बच्चे होते हैं, परंतु इससे भी भिन्न परिस्थिति हो सकती है, इसे कानून मान्यता देता है ।’ ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा आयोग’ ने विवाद करते हुए कहा कि लिंग की संकल्पना अस्पष्ट हो सकती है; परंतु मां एवं मातृत्व की संकल्पना अस्पष्ट नहीं है !

इस पर न्यायालय ने अपना मत प्रदर्शित करते हुए कहा, ‘हमारे सभी कानून भिन्नलिंगी दंपतियों के बच्चों के हितसंबंध एवं कल्याण की सुरक्षा करते हैं ।’ दूसरी ओर सॉलिसिटर जेनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि ‘भिन्नलिंगी दंपतियों के बच्चे एवं समलिंगी दंपतियों के बच्चों में भेद करने की भूमिका उचित है ।’