धब्बा लगा (दागी) नेतृत्व !

राहुल गांधी

काँग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी को २३ मार्च को २ वर्ष के कारावास का दंड दिया गया । वर्ष २०१९ में कर्नाटक में एक सार्वजनिक सभा में उन्होंने ‘सभी चोरों के नाम मोदी कैसे?, ऐसा प्रश्न उपस्थित कर अपना बौद्धिक दिवालियापन उजागर किया था । इसपर सूरत के मोदी समाज ने तीव्र आक्षेप व्यक्त कर, उन पर अभियोग प्रविष्ट किया । यह बात अलग है कि उन्हें इस प्रकरण में प्रतिभूति मिल गई, किंतु राहुल गांधी को दंड मिला, यह कुछ कम नहीं ! काँग्रेसियोें ने भले ही इस प्रकरण में अनेक आरोप कर इस दंड का विरोध किया; तब भी आखिर उन्हें दंड मिला ही । इससे काँग्रेस विरोधकों को इस प्रकरण में बहुत संतोष हुआ । अनेक लोगों ने तो दंड घोषित होने पर आनंद भी व्यक्त किया । बातूनी को दंड मिला, यह एक दृष्टिकोण से ठीक ही हुआ; किंतु उनकी बकबक के पीछे मुख्य कारण है मोदीद्वेष, जो गंभीर बात हैै । मोदी ही चोर कैसे ? इस वाक्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की ओर उंगली उठाने का राहुल गांधी का प्रयास था । इस प्रकरण की सुनवाई के समय गांधी ने कहा था, ‘मैंने क्या कहा था, उसका मुझे अब स्मरण नहीं ।’ बोलते समय राहुल बाबा को अपनी जिव्हा पर नियंत्रण नहीं रहता । फिर बोलने के पश्चात अबोध और भोले-भाले होने का ढोंग रचते हैं । राहुल गांधी की इस भूमिका से सभी भारतीय भली-भांति परिचित हैं ।  इसलिए उनकी गांधीगिरी अब अधिक समय तक नहीं चल पाएगी । इस प्रकरण में उन्हें भले ही प्रतिभूति मिल गई है, तब भी ऐसा लगता है कि उन्हें जो दंड मिला है इससे उनके निरंकुश वक्तव्याें पर कुछ तो रोक लगेगी । इस प्रकरण में राहुल गांधी की संसदसदस्यता रहित हुई है । न्यायालय के दंड देने के पश्चात राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘सत्य ही मेरा भगवान् है ।’ फिर वही बात…! ऐसा ध्यान में आता है कि कुछ भी बोलते रहना और सबके सामने अपनी ही हंसी करवाना, इसकी मानो राहुल गांधी को आदत ही लग गई  है । क्या राहुलबाबा जानते भी हैं कि सत्य का अर्थ क्या है ?, सत्य, भगवान कब होता है ?, सत्य कोैन  बोलता हैे ?  अब तो उन्हें ध्यान में रखना चाहिए कि मन में जो भी आए वह बोलना और फिर उसे जनता पर थोप देना, यह रणनीति अब जनता नहीं चलने देगी !

बातूनीवीरों को नकेल आवश्यक !

कुछ ही समय पूर्व राहुल गांधी ने भारत जोडो यात्रा कर, काँग्रेस को पुनर्जीवित करने का (दयनीय) प्रयास किया । इससे अंशात्मक उन्होंने अपने नेतृत्व पर विश्वास भी निर्माण कर लिया हो; किंतु पुन: कुछ ही समय में स्थिति पहले जैसी ! ऐसी ही पुन: पुन: उनकी दुर्गति हो जाती है । वे भारत यात्रा पूरी कर विदेश गए और सर्वत्र भारत की स्थिति कितनी बिकट है, ऐसा कहते हुए उन्होंने विदेशियों के सामने असंतोष व्यक्त किया । जिस भारत को यात्राद्वारा जोडने का प्रयास किया, उसी को विदेश पहुंचकर मिट्टी में मिला दिया । इससे उन्हें क्या मिला ? विश्व के सामने अपना बडप्पन दिखाना और उसके पीछे राष्ट्र तथा हिन्दूद्वेषी चेहरा छिपाकर रखना, यह उनकी चाल रहती है । अपना बडप्पन दिखाने के प्रयास में वे अनजाने में ही अपनी छवि धूमिल कर लेते हैं और इस बात का उन्हें भान तक नहीं । सच तो यह है कि विदेश में भारत की अपकीर्ति करने के लिए राहुल गांधी को भारत में पैर रखने ही नहीं देना चाहिए ।

कुछ समय पहले इसी राहुलबाबा ने कहा था, ‘‘योगी आदित्यनाथ धार्मिक नेता नहीं, अपितु सामान्य गुंडे हैं !’’ २ वर्ष पहले वे मां वैष्णोदेवी के दर्शन के लिए गए थे । तब उन्होंने वहां कहा था, ‘‘मेरा परिवार कश्मीरी पंडित है, इसलिए मैं अपने बंधुओं (कश्मीरी पंडितों) की सहायता करूंगा ।  मैं जो कुछ भी कहूंगा, वह झूठ नहीं होगा; किंतु प्रत्यक्ष में कुछ भी नहीं किया ।  गांधी परिवार की जन्मपत्री संपूर्ण देश जानता है, तब भी स्वयं को कश्मीरी पंडित कहना, इससे अधिक हास्यास्पद क्या होगा ? बिना कारण चर्चा कर अपना बडप्पन दिखाने की अपेक्षा राहुल गांधी अब तक अपने कहे अनुसार कुछ करते, तो सत्य जग के सामने आ ही जाता । बिना कारण उन्हें सत्य की परिभाषा बतानी ही नहीं पडती । कुछ समय पूर्व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेयजी होसबाळे ने भी राहुल गांधी को बहुमूल्य उपदेश दिया था कि वे अधिक दायित्व से बोलें; किंतु किसी का कहा मान लें, तो वे राहुल गांधी ही कैसे ?

सत्य जानो !

राहुल गांधी काँग्रेस पक्ष के लिए उत्तरदायी हैं । ऐसे में उनकी भूमिका देशहितकारी ही होनी चाहिए । प्रत्येक घटना की दृष्टि से वास्तविकता का भान रखना चाहिए । महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें अपने वचनाें के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए ।  जनतंत्र की मर्यादाओं का पालन करना चाहिए ।  ऐसा नेतृत्व ही इतिहास बना सकता है,  इसे राहुल ध्यान में रखें । केवल मोदीद्वेष दिखाने की अपेक्षा काँग्रेस ने भारतीयों का कितना भला किया, यह भी देखें ।

काँग्रेस ने अब तक हिन्दुओं का, भारतीयाें का भविष्य नष्ट किया है । राहुल ने भी आज तक इससे कुछ भिन्न नहीं किया । पहले से ही दुर्दशाग्रस्त काँग्रेस को राहुल गांधी जैसे वीर (?) अपने ही पैर पर कुल्हाडी चलाकर उसे विनाश की गर्त में ढकेल रहे हैं । राहुल गांधी के बचकाने वक्तव्यों पर लोग हंसते हैं । उनकी बारंबार खिल्ली उडाई जाती है । वे इस सत्य की ओर कब ध्यान देंगे ? सत्ता चली गई, तब भी मूल राष्ट्रविघातक वृत्ति नहीं गई, यही सच है ! उन्हें अपनी राष्ट्रविघातक भूमिका के लिए दंड मिलना ही चाहिए; किंतु अपराध करना, दंड मिलना और प्रतिभूति लेना, ऐसे सस्ते और सहज-सुलभ पर्याय के उपलब्ध होने से ही राहुल गांधी जैसे लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आते ! अब तो उन्हें चाहिए कि वे देश का मार्गक्रमण विनाश की ओर न होने दें और उसके विकास का प्रयास करें ! दूसरों को कलंकित करने की अपेक्षा स्वयं कितने कलंकित हैं, यह देखने पर निश्चितरूप से राहुल गांधी को वास्तविकता ध्यान में आ जाएगी !

राष्ट्रद्वेषी भूमिका लेनेवाले राहुल गांधी इसका उत्तर ढूंढें कि काँग्रेस ने भारतीयों का कितना भला किया और वास्तविकता से अवगत हों !