यदि भारत में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे होते, तो क्या उनकी जनसंख्या बढी होती ?

  • अर्थमंत्री सीतारामन ने भारत में मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा होती है, यह आरोप अस्वीकृत कर दिया !

  •  उन्होंने स्पष्ट किया कि, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को मार डालने से उनकी संख्या घट रही है !

भारत की अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन

वॉशिंग्टन (अमेरिका) – भारत की अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन ने यहां ‘पीटरसन इन्स्टिट्यूट फॉर इंटरनैशनल इकॉनॉमिक्स’ के संवाद में ‍भारत में आर्थिक बढोतरी के विषय में बोलते समय वक्तव्य दिया है कि, ‘‘भारत में मुसलमान असुरक्षित हैं, यह चित्र ऐसे लोगों ने निर्माण किया है, जो कभी भारत में आए तक नहीं । यदि भारत में मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा हुई होती, तो क्या उनकी जनसंख्या इतनी बढ गई होती ? विश्व के दूसरे क्रमांक की मुसलमानों की जनसंख्या भारत में है ।’’

१. इन्स्टिट्यूट फॉर इंटरनैशनल इकॉनॉमिक्स के अध्यक्ष एडम पोसेन ने प्रश्‍न पूछा कि, भारत संदर्भ की कुछ धारणाएं क्या धन एवं राशी लगाने पर परिणाम कर रही हैं  ? तब सीतारामन ने कहा ‘‘इसका उत्तर उन राशी लगानेवालों से मिल सकता है, जो भारत में आए हैं एवं आ रहे हैं । यदि किसीको धन लगाना है, तो मुझे इतनाही बताना है कि, भारत में क्या हो रहा है वह देखें । ऐसे लोगों के मत न सुने, जो कभी भी भारत भूमि में न आते हुए भी भारत के विषय में मत व्यक्त करते रहते हैं ।

२. अर्थमंत्री सीतारामन ने आगे कहा कि, ‘‘पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की स्थिति दिन-प्रतिदिन विकट होती जा रही है । उनकी संख्या दिन-प्रतिदिन अल्प हो रही है । उन पर फुटकर आरोप किए जाते है एवं उन्हें फांसी का दंड भी दिया जाता है । अधिकांश घटनाओं में ईशनिंदा व्यक्तिगत प्रतिशोध लेने के लिए की जाती है । ऐसे  प्रकरणों में पीडितों को तुरंत दोषी ठहराया जाता है । न तो उनकी ठीक से जांच होती है, ना ही न्यायालय में अभियोग चलाया जाता है ।’’

३. अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि, जब भारत का विभाजन किया गया, तब  पाकिस्तान का निर्माण हुआ । पाकिस्तान ने स्वयं को ‘इस्लामी देश’ घोषित किया ।  तब ‘अल्पसंख्यकों की रक्षा की जाएगी’, ऐसा भी कहा था । आज वहां के सभी अल्पसंख्यक समुदायों की संख्या अल्प हो रही है । उनको मार दिया जाता है । वहां कुछ मुसलमान वर्ग भी है, जिन्हें मार दिया जाता है । मुहाजिर, शिया एवं प्रमुख प्रवाह में सिम्मिलित न किए गए प्रत्येक समुदाय के विरुद्ध हिंसा हो रही है । दूसरी ओर आपको भारत में दिखेगा कि, मुसलमान अपने व्यवसाय कर रहे हैं, तो उनके बच्चें पढ रहे हैं । सरकार उन्हें शिष्यवृत्ति दे रही है । यदि पूरे भारत में  मुसलमानों के विरुद्ध हिंसा हुई होती, तो उनको उसकी फटकार लगी होती । इसलिए यह अनुचित वक्तव्य है, यह स्पष्ट होता है । क्या भारत में मुसलमानों की जनसंख्या अल्प हुई है ? कोई एक समुदाय में क्या मृत्यु की संख्या बढी है ? जो कोई ऐसे विवरण प्रसिद्ध करते है, उनको मैं चुनौती देती हूं कि, वे भारत में आएं, तथा अपना कहना सिद्ध करें ।’’