त्रिशूर (केरल) – यहां के इरिंजादापल्ली श्रीकृष्ण मंदिर में अब धार्मिक विधि करने के लिए सच्चे हाथियों की अपेक्षा यांत्रिक हाथियों का प्रयोग किया जाएगा । इन हाथियों की ऊंचाई साढे दस फूट होगी एवं उनका कुल वजन ८०० किलो है । इस हाथी पर ४ लोग बैठ सकेंगे । इस हाथी की सूंढ, सिर, आंखें एवं कान सभी बिजली पर चलेंगे ।
The elephant's head, eyes, mouth, ears and tail all work on electricity. #Kerala @peta | @KGShibimol https://t.co/oqURisLlsK
— IndiaToday (@IndiaToday) February 27, 2023
१. केरल के मंदिरों में की जानेवाली धार्मिक विधियों में हाथी का बहुत महत्त्व है । कभी कभी अनुष्ठान के समय अथवा उसके पूर्व ये हाथी क्रोधित हो जाते हैं, इसके कारण अनेक लोगों की जानें गई हैं । इसलिए श्रीकृष्ण मंदिर समिति ने धार्मिक विधियों के लिए हाथियों का प्रयोग न करने का निर्णय लिया था । जानवरों (प्राणियों) की रक्षा के लिए काम करनेवाली संस्था ‘पेटा इंडिया’ ने इस यांत्रिक (मशीनी) हाथी को प्रस्तुत करने का निर्णय लिया ।
२. ‘पेटा इंडिया’ का कहना है कि बांध कर रखने से कभी-कभी हाथी चिढ जाते हैं । जब उनकी इच्छा के विरुद्ध काम किया जाता है, तब वे उत्तेजित हो जाते हैं, जिससे लोगों को अपनी जान गंवानी पडती है ।
३. ‘हेरिटेज एनिमल टास्क फोर्स’ के विवरण अनुसार केरल में विगत १५ वर्षों में हाथी के आक्रमणों के कारण ५२६ लोगों की मौत हुई है । केरल के त्योहारों के समय चिकट्टुकवू रामचंद्रन नामक हाथी का सर्वाधिक प्रयोग किया जाता है । इस हाथी ने ६ महावत, ४ महिला एवं अन्य ३ हाथियों सहित १३ लोगों की जान ली है ।