सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

बुद्धप्रमाणवादियों एवं जातिवादियों के कारण हिन्दुओं की हुई अपूर्णीय क्षति ! 

‘बुद्धिप्रमाणवादियों के कारण हिन्दुओं की धर्म पर श्रद्धा बहुत घटी है और जातिवादियों के कारण हिन्दुओं में आपसी फूट बढी है । इसलिए, भारत में बहुसंख्य होने पर भी वे अन्य धर्मीय और नक्सलियों से मार खाते हैं ।’

अध्यात्म का महत्त्व न जाननेवाले शासकों के कारण देश का विनाश हो गया है !

‘अध्यात्म के अतिरिक्त क्या एक भी विषय ‘सात्त्विक, सज्जन, धर्मप्रेमी और राष्ट्रप्रेमी बनना सिखाता है ? वैसा न होते हुए भी अध्यात्म के अतिरिक्त अन्य सर्व विषय सिखानेवाले स्वतंत्रता के ७५ वर्ष से भारत के अभी तक के शासकों ने देश का विनाश किया है ।’

भारत और हिन्दू धर्म की असीमित हानि करनेवाले अभी तक के राजनेता !

‘शिक्षा के लिए संपूर्ण संसार से लोग भारत में आते हैं, ऐसा एक ही विषय है, वह है मनुष्य का चिरंतन कल्याण करनेवाला अध्यात्मशास्त्र और साधना । वह हिन्दू धर्म की संसार को देन है । ऐसा होते हुए भी भारत के अभी तक के राजनेता उसका महत्त्व समझ नहीं पाए । इसलिए उन्होंने स्वयं की, भारत और हिन्दू धर्म की असीमित हानि की है ।’

धर्मद्रोहियों के कारण ही भारत बलहीन हो गया है !

‘धर्मद्रोही देशद्रोही हैं; क्योंकि धर्म के कारण ही देश में सामर्थ्य आता है । इसका उदाहरण हैं संसार के सर्व देशों को चिंता करने के लिए बाध्य करनेवाले इस्लामी देश । इसके विपरीत धर्मद्रोहियों के कारण देश बलहीन होता है, उदा. भारत !’

हिन्दू राष्ट्र में अंग्रेजी भाषा नहीं होगी !

‘हिन्दुओ, हिन्दू राष्ट्र में दासता दर्शानेवाली तथा रज-तम प्रधान अंग्रेजी भाषा भारत में नहीं रहेगी । राज्यों की भाषा प्रशासकीय भाषा होगी । इसलिए यदि आपको ऐसा लगता है कि आगे आपके बच्चे को नौकरी मिले, तो उसे अभी से भारतीय राज्यभाषा में शिक्षा दें ।’

अध्यात्म की अद्वितीयता !

‘किसी भी बात का मूल कारण खोजे बिना डॉक्टर, न्यायाधीश सरकार इत्यादि सभी उस पर केवल सतही उपाय करते हैं । इसके विपरीत, व्यष्टि एवं समष्टि प्रारब्ध, लेन-देन हिसाब, काल इत्यादि मूलभूत कारणों को ध्यान में रखकर उनका उपाय केवल अध्यात्म ही बता सकता है !’

बुद्धिप्रमाणवादियों की अपेक्षा ‘मुझे दिखाई नहीं देता’, यह सत्य स्वीकार करनेवाला श्रेष्ठ !

‘मोतियाबिंदु से ग्रस्त व्यक्ति को बारीक अक्षर दिखाई नहीं देता । यदि कोई वह बारीक अक्षर पढकर सुनाए, तो मोतियाबिंदु से ग्रस्त व्यक्ति यह नहीं कहता कि वहां अक्षर हैं, ऐसा झूठ कहकर आप भ्रमित कर रहे हैं । वह कहता है, ‘मुझे बारीक अक्षर दिखाई नहीं देते ।’ चश्मा लगाने पर वह बारीक अक्षर पढ पाता है ।

इसके विपरीत बुद्धिप्रमाणवादी जो उन्हें स्वीकार नहीं होता, उसे झूठ कहते हैं । ‘साधना से सूक्ष्म दृष्टि प्राप्त होने पर बहुत कुछ समझ सकते हैं’, यह उन्हें स्वीकार नहीं होता ।’

‘नेता, बुद्धिप्रमाणवादी अथवा वैज्ञानिक, इनके कारण विदेशी भारत में नहीं आते; अपितु संतों के कारण तथा अध्यात्म एवं साधना सीखने के लिए आते हैं । तब भी हिन्दुओं को संत एवं अध्यात्म का मूल्य समझ में नहीं आया ।’

राजनेताओ, यह ध्यान रखो !

‘जनता को पैसे देकर अथवा झूठे आश्वासन देकर चयनित होने की अपेक्षा ईश्वर को प्रसन्न कर उनके आशीर्वाद से चयनित होने पर जनता को ही नहीं, अपितु प्राणिमात्र को भी वास्तविक रूप से सुखी कर सकते हैं ।’

– (सच्चिदानंद परब्रह्म) डॉ. आठवले