हम ने ही आतंकवाद के बीज बोए !

  • पेशावर की मस्जिद में आत्मघाती विस्फोट का प्रकरण

  • पाकिस्तान के सुरक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ की संसद में स्वीकृति !

इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – पाकिस्तान के पेशावर में मस्जिद में नमाजपठन के ‍समय हुए आत्मघाती बमविस्फोट में मृत्यु होनेवालों की संख्या १०० हो गई है । ‘तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) आतंकवादी संगठन ने यह विस्फोट करवाया था । इस विषय में पाकिस्तान के सुरक्षामंत्री ख्वाजा आसिफ ने संसद में ‘ हमने ही आतंकवाद के बीज बोए हैं, ऐसी स्वीकृति दी । भारत तथा इस्राईल देशों में भी प्रार्थना करते समय श्रद्धालु मारे नहीं गए; परंतु पाकिस्तान में वह हुआ है ।

ख्वाजा असिफ ने वर्ष २०१० से २०१७ की कालावधि में हुए आतंकवादी आक्रमणों का उल्लेख किया । उन्होंने कहा कि आतंकवादियों का यह युद्ध पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की कालावधि में स्वात भाग से आरंभ हुआ, जबकि ‘पी.एम्.एल्.-एन्.’ पार्टी की पिछली सरकार के कार्यकाल में कराची से स्वात तक पाकिस्तान में शांति प्रस्थापित हुई । मुझे अधिक बोलना नहीं है; परंतु हम ने ही आतंकवाद के बीज बोए हैं । यदि आतंकवाद से मुक्तता चाहते हो, तो हम ने वर्ष २०११ से २०१२ में जैसी एकता दर्शाई थी, ठीक ‍वैसी ही एकता दर्शाने की आज आवश्यकता है ।

पाकिस्तान को अमेरिका के हित के लिए युद्ध नहीं करना चाहिए !

आसिफ ने आगे कहा कि महाशक्ति की कठपुतली बनने की हमारी (पाकिस्तान की) पुरानी ही इच्छा थी । अब आतंकवाद के विरुद्ध युद्ध में पाकिस्तान अकेला ही है । अमेरिका से हमें अच्छे संबंध रखने चाहिए; परंतु पाकिस्तान को अमेरिका के कहने पर उसके (अमेरिका के) हित के लिए युद्ध नहीं करना चाहिए । हमें अफगानिस्तान में सुधार चाहिए ।

आतंकवादी बनाना हमारी सामूहिक चूक ! – पाकिस्तान के गृहमंत्री

पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्ला ने संसद में कहा कि मुजाहिदिन (अन्य धर्मीयों से लडनेवाले लडाकू) सिद्ध करना तथा उनके साथ जाकर युद्ध करना सामूहिक चूक थी । हमें मुजाहिदीन बनने की आवश्यकता नहीं थी ।

हमने मुजाहिदीन तैयार किए एवं पश्चात वे आतंकवादी बन गए । पाकिस्तान बहुत समय से विश्व के सर्वाधिक अमानुषिक आतंकवादियों का आश्रयदाता बन गया है । अब हमें उसका मूल्य चूकाना पड रहा है; क्योंकि आतंकवादी आक्रमणों में वृद्धि ही हो रही है । पिछली इम्रानखान की सरकार ने फांसी का दंड सुनाए ‘तेहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान संगठन के आतंकवादियों की मुक्तता की थी ।

संपादकीय भूमिका

पाकिस्तान को ७५ वर्ष के उपरांत इसका पछतावा होना कोई उपयोग नहीं । उनके द्वारा उत्पन्न आतंकवादरूपी राक्षस अब उनकी बलि चढाए बीना नहीं रहेगा, यही वास्तव है !