पाकिस्तान में तीव्र हो रही है स्वतंत्र सिंधु देश की मांग !

पाकिस्तान के ४ भागों में टुकडे होने की संभावना !

इस्लामाबाद (पाकिस्तान) – दिवालिया हो रहे पाकिस्तान के सिंध में हिन्दुओं पर नियमित अत्याचार हो रहे हैं । इसके विरोध में वहां के हिन्दुओं ने संगठित होकर आंदोलन चालू किया है । सिंध प्रांत को पुन: स्वतंत्र ‘सिंधुदेश’ बनाए जाने की मांग के लिए सिंध में विशाल मोर्चा निकाला जाएगा । पिछले वर्ष यहां इस प्रकार के मोर्चे निकाले गए थे । उस समय वहां के हिन्दुओं ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बायडेन और अन्य नेताओं को सिंध को ‘सिंधु देश’ बनाए जाने के लिए सहायता करने की विनती की थी ।

१. हिन्दुओं का कहना है कि सिंधु देश बनने से सिंध में हिन्दुओं को रहने का अधिकार मिलेगा । इसके लिए पाकिस्तान का बंटवारा होना आवश्यक है ।

२. सिंध के लोगों का कहना है कि, उनके प्रांत पर अंग्रेजों ने नियंत्रण किया था और वर्ष १९४७ में सिंध के लोगों की इच्छा न होते हुए भी यह प्रांत अवैध ढंग से पाकिस्तान को दिया गया था ।

३. यहां के सिंध राष्ट्रवादी लोगों का कहना है, ‘महाभारत के सिंधु देश समान यह प्रांत पाकिस्तान से अलग होकर एक देश बनना चाहिए ।’ इसके पूर्व १९६७ में सिंधु देश की मांग बडी मात्रा में आगे आई थी । जी.एम. सैयद और पीर अली मोहम्मद रश्दी ने इसका नेतृत्व किया था । वर्ष १९७१ में पाकिस्तान से बांगलादेश के स्वतंत्र होने पर सिंध देश की मांग और तीव्र हो गई थी ।

४. अब वर्ल्ड सिंधी कांग्रेस, सिंधु देश लिबरेशन आर्मी, जय सिंधु स्टूडेंट, सिंध नेशनल मूवमेंट पार्टी आदि यह मांग आगे लेकर जा रहे हैं ।

५. सिंधु देश के समर्थक और ‘जय सिंध फ्रीडम मूवमेंट’ के संस्थापक जफर साहितो यूरो ने बताया कि वर्ष १८४३ में ब्रिटिश सेना ने आक्रमण कर सिंधु देश पर  आधिपत्य स्थापित कर लिया था । जब वे भारत से वापस गए, इसके उपरांत हमारा देश हमें देना चाहिए था । यह हमारा अधिकार था । ब्रिटिशों ने पाकिस्तान की निर्मिति स्वयं के स्वार्थ के लिए की । सिंध नरेश दाहिर के समय, अर्थात वर्ष ७११ में यह स्वतंत्र देश था ।

६. पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा में अफगानी, तो बलुचिस्तान में बलुची नागरिकों द्वारा भी स्वतंत्र होने के लिए कुछ वर्षों से सशस्त्र आंदोलन किए जा रहे हैं । इस कारण अब पाकिस्तान के ४ टुकडे होने का संकट निर्माण हुआ है ।

संपादकीय भूमिका

भारत को इसके लिए सिंध प्रांत के नागरिकों की सहायता करनी चाहिए, ऐसा भारतीयों को लगता है !